वसंत - पंचमी से ही शुरू हो चुकी फाग की उमंग अब चरमोत्कर्ष पर है. गैर आयातित और हमारे मौलिक त्योहारों में होली भी एक है. आदिम कृषक समाज जब फसल की कटाई संपन्न कर चैन की साँस ले रहा होता था और प्रकृति भी नए रंगों में सज-धज कर नया रूप धारण कर रही होती थी तो अपने उत्साह के प्रकटीकरण के लिए रंगों के इस त्यौहार का स्वस्फूर्त सृजन और रंग-गुलाल के साथ नव वर्ष का स्वागत स्वाभाविक ही था।
वसंत - पंचमी से 'होलिका-दहन' की तैयारी भी शुरू हो जाती है, जो दरिद्रता, बुराई और अधर्म के नाश का प्रतीक है; जिसकी सदबुद्धि 'माँ शारदा' ही तो दे सकती हैं।
थोड़े बदले स्वरुप में कमोबेश हर महाद्वीप और प्रत्येक देश में होली सर्दृश्य त्यौहार की उपस्थिति के बीज हमारे विस्मृत हो चुके अतीत में छुपे हो सकते है. ऐसे में इस त्यौहार की मौलिक भावनाओं को विरूपित होने से बचाने के संकल्प के साथ आइये Let's Play Holi.आप सभी को होली की रंग, उमंग और भंग भरी ढेरों शुभकामनाएं.....
Tuesday, March 10, 2009
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8 comments:
सुन्दर प्रस्तुति। होली की शुभकामनाएँ।
होली की बहुत बहुत बधाई ..
aapko bhi holi mubarak ho
होली के पावन त्योहार पर हार्दिक बधाई
Apko bhi holi ki bahut shubhkaamnaye...
होली कैसी हो..ली , जैसी भी हो..ली - हैप्पी होली !!!
होली की शुभकामनाओं सहित!!!
प्राइमरी का मास्टर
फतेहपुर
आपको भी होली की हार्दिक शुभकामनाऍं।
सुन्दर प्रस्तुति।
होली की शुभकामनाएँ।
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