Wednesday, September 9, 2009

ये मेरा दिवानापन है, या...

अब इसे ब्लॉग्गिंग का जुनून कह लीजिये, या मन का फितूर. सुबह से ट्रेन का इन्तेजार करता, अब जब ट्रेन के 4 घंटे लेट होने की सूचना पाई तो आस-पास कैफे ढूंढने से खुद को रोक नहीं पाया। इसी बीच देव साहब की फिल्मों की कुछ क्लासिक collection भी मिल गई है, जो आशा है अरुणाचल में काफी साथ देंगीं. तसल्ली की बात यह है की वहां इन्टरनेट की uplabdhata की सूचना मिली है, albatta यह बात digar है की इसका rate 50 ru . / घंटे है. अब वहां पहुँच कर आगे की daastan bayan करने की कोशिश karunga . तब तक के लिए enjoy blouging।

(tatkalik internet suvidha के sucharu रूप से काम न कर pane के लिए हुई asuvidha के लिए खेद है। )

8 comments:

अभिषेक मिश्र said...

Yeh to batana bhul hi gaya ki yeh post Howrah mein arrange ki gai hai.

संगीता पुरी said...

जूनून ही कहा जा सकता है .. देखिए कब तक चल पाता है ?

Himanshu Pandey said...

अब आप पहुँच जाँय, इंटरनेट की उपलब्धता जाँच लें, सुविधा भी,फिर जम कर लिखें । हम प्रतीक्षा में हैं निरन्तर ।

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

इण्टर-नेट का जुनून ऐसा ही होता है।
अच्छा दीवानापन है।

Anonymous said...

यहाँ जुनून के माइने बदल जाते है इसे आप लगन भी कह सकते है .

Udan Tashtari said...

शुभकामनाएँ...पहुँच कर रिपोर्ट करें. :)

राज भाटिय़ा said...

हा जी यह दिवानापन ही है, मै आस्पताल मै पडा था दवाई से ज्यादा मेरा ध्यान इंटर नेट की तरफ़ था, ओर एक दिन मिल ही गया.

daanish said...

aapki lagan....
aur junoon ko salaam

---MUFLIS---

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