Sunday, December 26, 2010

नववर्ष का उपहार : दिल्ली पुस्तक मेला

दिल्ली का प्रगति मैदान एक बार फिर तैयार है पुस्तक प्रेमियों के स्वागत के लिए, 25 दिसंबर से २ जनवरी तक आयोजित दिल्ली पुस्तक मेले के साथ. कॉमनवेल्थ गेम्स की वजह से प्रस्तावित तिथी में बदलाव के साथ अनजाने में ही यह नववर्ष के लिए एक विशेष destination बन गया है. मेले का मुख्य थीम है – ‘ग्रामीण भारत हेतु पुस्तकें’. यूँ तो इस थीम की रस्मअदायगी कुछ सरकारी प्रकाशन केंद्र ही करते दीखते हैं, मगर रस्मों से ऊपर पुस्तकों के विशाल महासागर में एक बार फिर गोते लगाने का अवसर तो है ही यह पुस्तक मेला.
कई देशी-विदेशी प्रकाशन समूहों के साथ पुस्तक प्रेमियों के लिए पलक – पांवड़े बिछाये प्रस्तुत है यह आयोजन. तो चलें इस बार पुस्तक मेला इस निश्चय के साथ कि नववर्ष की शरुआत अपनी पसंदीदा पुस्तकों से करेंगे और उपहार में पुस्तकें देने की परंपरा को और भी सुदृढ़ कर पुस्तक पठन - पाठन की संस्कृति विकसित करने में अपना भी योगदान देंगे.

लगभग एक वर्ष से अधिक लंबे वनवास से वापसी के बाद मुख्यधारा से जुड़ने के अवसर को enjoy करने के लिए मेरे लिए तो यह आयोजन काफी महत्वपूर्ण था, मगर अपने बारे में बात अपनी अगली किसी पोस्ट में. अभी तो बस पुस्तक मेले का ही लुत्फ़ उठाएं.

11 comments:

नीरज मुसाफ़िर said...

शायद आज या कल जाना हो।

Vineeta Yashsavi said...

aise mele to lagte hi rahne chahiye humesha...

Subhashis Das. said...

Bittu,
Great, tumhara mukhyadhara mein wapas ane ki abhiwaykti hai kya yeh ?

Book fair ko enjoy karo.

saprem
Mausaji

Subhashis Das. said...
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Subhashis Das. said...
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Subhashis Das. said...
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Subhashis Das. said...
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राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर जानकारी जी, लेकिन हमारा जाना तो हो नही सकता, धन्यवाद

Arvind Mishra said...

बहुत अधूरी रिपोर्ट -मात्र सूचनात्मक ! मगर यहाँ आने जाने में समय तो लगभग उतना ही लगा -हर कम मन और समर्पण से किया जाय तो कितना सुन्दर हो !

वीना श्रीवास्तव said...

हां अभी रांची में भी नेशनल बुक फेयर लगा खूब सारी किताबें खरीदीं....यही तो फायदा है अच्छी -अच्छी किताबें खरीदने को मिल जाती हैं...

ZEAL said...

पुस्तक मेले सदैव से ही आकर्षित रहे हैं मुझे। मेरे पास ज्यादातर पुस्तकें इन पुस्तक-मेलों से ही खरीदी हुई हैं।
आभार इस जानकारी का।

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