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आँखों में झलकते भविष्य के सपने |
छात्र जीवन का एक अविस्मरणीय अरसा बनारस में बिताये होने के दौरान से ही उससे गहरी आत्मीयता महसूस करता हूँ. क्यों पता नहीं. मगर ऐसी ही आत्मीयता कुछ ऐसे व्यक्तियों से भी हो जाती है, जिसके पीछे कोई तर्क कार्य नहीं करता, बस एक संबंध सा जुड जाता है. ऐसे ही चंद रिश्ते हैं जिन्हें भी मैं अपनी धरोहर ही मानता हूँ. श्री शिवरंजन भारती, जो 'जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया' में जियोलोजिस्ट हैं – जिन्हें भारतीय रिलेशन विधा के अंतर्गत तो मैं भैया ही कहता हूँ, मगर यह मात्र मेरे सीनियर हैं या मित्र या मार्गदर्शक या ... आधिकारिक रूप से तय नहीं हो पाया है. इन्ही के जीवन की एक ‘अभूतपूर्व’ घटना पर गाजीपुर जाने का मौका मिला, जाहिर है वहाँ तक पहुंचकर बनारस न जाने का तो प्रश्न ही नहीं उठता था, मगर उसकी चर्चा बाद में; पहले चर्चा उनके जीवन की अभूतपूर्व घटना, अर्थात उनके विवाह की. डेढ़ माह पूर्व से रिजर्वेशन और ऑफिस से छुट्टी की कष्टसाध्य प्रक्रिया समयपूर्व सुनिश्चित करवा लेने के बाद भी विवाह तक पहुंचना इतना आसान नहीं रह पाया. ट्रेन को छोड़ प्लेन से और वहाँ से बी.एच. यु. के ही उनके मित्रों के एक और ग्रुप को ज्वाइन कर उनके साथ हमलोग पुरानी यादों को ताजा करते बनारस से गाजीपुर की ओर चले. इस मार्ग पर एक बात गौरतलब थी कि चाय की दुकानों से ज्यादा ‘देसी और मसालेदार पेय’ की दुकानें ज्यादा दिखती रहीं. एक ढाबे पर चाय मिली भी तो वो भी ......
खैर बारात हमसे पहले पहुँच चुकी थी और जल्द ही दुल्हे राजा भी तैयार हो गए और थोड़ी देर में बरात पुरे गाजे – बाजे और ऐश्वर्या – प्रियंका को मात देती नृत्यांगनाओं के साथ वधु पक्ष के द्वार की ओर चल पड़ी, जहाँ स्वागत का काफी उम्दा इंतजाम किया गया था. वधुपक्ष के परिजनों का आपसी सहयोग स्पष्ट दिख रहा था, जो आजकल शहरों में प्रोफेशनल कैटरिंग वालों के अरेंजमेंट के बीच देखने में नहीं ही आता. जयमाला के दौरान आगंतुकों को अक्सर दूल्हा-दुल्हन की छवि ठीक से देख न पाने की शिकायत रहती है, शायद इसी के परिमार्जन स्वरुप एक ऊँचे रिवोल्विंग स्टेज पर जयमाला की सुव्यवस्था की गई थी. मुझे इस आयोजन का सबसे अच्छा भाग शोर मचाते स्टीरियो की जगह स्थानीय लोकगीत गायकों की सहभागिता लगी, जिन्होंने इस आयोजन में वाकई चार चाँद लगा दिए.
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लोकगीत कलाकार |
इसके बाद सुबह तक विवाह की रस्म अदायगी चलती रही जिसे महिलाओं द्वारा गाई जा रही गालियों और लोकगीतों ने एक विशेष स्पर्श दे रखा था. इस बीच उनकी भावी सालियों द्वारा काफी देर तक जूता चोरी के लिए कोई तत्परता न देख हमें ही उन्हें इस मांगलिक कार्य हेतु प्रेरित करना पड़ा और यह रस्म भी समंगल संपन्न हो गई और उधर आधिकारिक रूप से हमारे परिवार में एक नए सदस्य यानि श्रीमती स्निग्धा भारती का आगमन भी सुनिश्चित हो गया.
नव्य वर-वधू को उनके सुखमय वैवाहिक जीवन की शुभकामनाएं इस आशा के साथ भी कि विवाह के बाद नए रिश्तों के साथ पुराने रिश्ते भी बरक़रार रहेंगे. :-)
विवाह कार्यक्रम से जुड़े कुछ अन्य ‘कैनन मूवमेंट्स’ -
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मेरा यार बना है दूल्हा ..... |
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देर न हो जाये कहीं...../ काली घोड़ी द्वार खड़ी .....
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एक-दूजे के लिए |
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माई इमेजिनेशन : भारती दंपत्ति - 3 साल बाद ( 3 Years Later ) |