यह पोस्ट अमूल के किसी भारी-भरकम अध्याय पर आधारित नहीं है बल्कि यह मात्र एक प्रयास है उन डेलिशियस यादों को दोहराने का जो अमूल ने हमसे बांटे हैं अपने अटरली बटरली एड्स के जरिये.
अमूल के विज्ञापन हमेशा से ही काफी रोचक और सामायिक घटनाक्रम पर तीक्ष्ण नजर रखने वाले रहे हैं. एक दौर था जब बनारस में आँखें जाने-पहचाने मोड़ से गुजरते हुए उस होर्डिंग्स को ढूंढती रहती थीं जिसपर इसके नए एड लगाये जाते थे. तब काफी अफ़सोस हुआ था जब किसी कारणवश उस होर्डिंग को हटा दिया गया था.
अमूल के एड्स हमेशा से ही जनमानस की भावनाओं की अभिव्यक्ति के काफी करीब रहे हैं, चाहे कोई राजनीतिक मुद्दा हो या सामाजिक या मनोरंजक.
हाल में ही 'एप्पल' के सह संस्थापक स्टीव जौब्स और नवाब पटौदी को अपने अनूठे अंदाज में श्रद्धांजलि दे अमूल ने अपनी गहरी संवेदनशीलता का भी परिचय दिया है.
अमूल विज्ञापनों के थिंक टैंक के सन्दर्भ में यदि आपके पास भी कोई जानकारी हो तो हमसे भी साझा करें.
अमूल परिवार को उसके सफल और लंबे सफर की शुभकामनाएं.
चलते-चलते यह अमूल - मंथन :
" मेरो गाम कंथा पारे..."