धरती
का स्वर्ग कश्मीर अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए तो प्रसिद्ध है ही,
यह जैव विविधता की दृष्टि से भी काफी समृद्ध है। यहाँ स्थित दाचीगाम राष्ट्रीय
अभ्यारण्य यही दर्शाता है। श्रीनगर से लगभग 21 किमी दूर यह अभ्यारण्य यहाँ के
प्रसिद्ध शालीमार बाग के निकट ही है। स्थानीय पर्यटन कार्यालयों या वन विभाग के
कार्यालय से यहाँ भ्रमण हेतु पास प्राप्त किया जा सकता है। यूँ तो पर्यटक दिन के
किसी भी वक्त अभ्यारण्य का भ्रमण कर सकते हैं, किन्तु वन में स्वच्छंद
विचरते वन्य प्राणीयों के अवलोकन की संभाविता सुबह ज्यादा होने के कारण एक दिन
पहले पास बनवा उसी समय भ्रमण ही ज्यादा उचित होगा।
यहाँ
के वन्य जीवों में कस्तुरी हिरण, बारहसिंगा, तेंदुआ, काला और भूरा भालू, जंगली बिल्ली,
पहाड़ी लोमड़ी, लंगूर आदि प्रमुख हैं। इनके अलावे विभिन्न
पक्षियों की प्रजातियाँ भी यहाँ देखी जा सकती हैं।
इस
अभ्यारण्य का नाम ‘दाचीगाम’ इसके निर्माण के लिए दस गाँवों को पुनर्वासित किए
जाने के कारण पड़ा। इसकी स्थापना मुख्यतः श्रीनगर शहर को स्वच्छ जल की निर्बाध
आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए की गई थी।
प्रारंभ में यह क्षेत्र कश्मीर के महाराज
और उनके विशिष्ट अतिथियों द्वारा शिकारगाह के रूप में प्रयुक्त किया जाता रहा। 1910
से संरक्षित क्षेत्र के रूप में स्थापित इस क्षेत्र को आजादी के पश्चात अभ्यारण्य
का और 1981 में राष्ट्रीय अभ्यारण्य का दर्जा प्राप्त हुआ। 141 वर्ग किमी क्षेत्र
में विस्तृत यह अभ्यारण्य दो भागों- निचले तथा ऊपरी भाग में विभक्त है। निचला भाग
पर्यटकों द्वारा आसानी से देखा जा सकता है, जबकि ऊपरी भाग के लिए पूरे दिन की ट्रैकिंग की
आवश्यकता होगी।
अभयारण्य
के अंदर एक मत्स्य पालन केंद्र भी है जहाँ ट्राउट मछ्ली का पालन होता है।
बहरहाल, इतना तय है कि यहाँ आने वाले पर्यटक कश्मीर के एक नए और सुरम्य रूप को निहार पायेंगे। यहाँ की शांति, पक्षियों का कलरव, प्राकृतिक सुंदरता आदि की अपने दिल पर अमिट छाप लिए ही वो यहाँ से लौटेंगे।