Saturday, January 30, 2010

अरुणाचल का 'पोदी-बारबी' पर्व

 
अरुणाचल में भी वसंत ने दस्तक दे दी है. शाखों पर नई पत्तियां और फूल दिखने लगे हैं. यहाँ - वहां घूमता प्रकृति के इन नजारों का आनंद उठा रहा हूँ, मगर दिल है कि कहीं दूर ' पलाश के फूल ' ढूंढ़ रहा है. अब भी याद आते हैं होली के समय पलाश के पीले फूलों का छा जाना और बच्चों का उनसे रंग तैयार करना.
खैर हाल ही में अरुणाचल का एक महत्वपूर्ण पर्व मनाया गया - 'पोदी - बारबी'.
यह यहाँ की बोकर जनजाति का एक प्रमुख पर्व है, जो हर वर्ष ५ दिसंबर को मनाया जाता है. मान्यता है फसल के देवता 'पोदी' और 'बारबी' इस अवसर पर स्वर्ग से धरती पर आकर उर्वरता, अच्छी फसल और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.
बोकर अरुणाचल की एक प्रमुख जनजाति है जो मंगोलियन मूल की है. यह वर्त्तमान में प. सियांग जिले के मेंचुका सब-डिविजन के मनिगोंग, पिदी, और टातो क्षेत्र में फैली हुई है.
आधुनिकता और धार्मिक prabhav ने पर्व कि मूल छवि को प्रभावित तो किया है, मगर लोगों के प्रकृति के प्रति अपने लगाव को प्रदर्शित करने का एक माध्यम तो है ही - 'पोदी - बारबी'.

Monday, January 11, 2010

गीत गाता चल

काफी समय बाद 2009 की चिट्ठी लिख पाया हूँ.
काफी कुछ दिया इस वर्ष ने, मगर बनारस से दूर होने की टीस अब भी बाकि है. इतना बड़ा खुद को नहीं समझता कि किसी को माफ़ करने के लायक खुद को मानूँ, मगर उन्हें भुलाने की कोशिश चार माह बाद भी जारी है. शायद इसीलिए दुनिया की मुख्यधारा से कट इस सुदूरतम स्थल पर आ गया हूँ.
अब बेहतर समझ पा रहा हूँ कि परिवर्तन को स्वीकार कर आगे बढ़ते जाना ही जिंदगी है, और मैं भी जिंदगी का साथ निभाता बढ़ता जा रहा हूँ.
हाँ ब्लॉग जगत की मधुर यादें एक खुशनुमा झोंके की तरह साथ हैं.
साहित्यिक दृष्टि से भी काफी सार्थक रहा यह साल.
जिस विषय से जुड़ा रहा, उसी में और अपनी रुची के करीब जॉब मिलना भी इस वर्ष की एक सौगात रही.
आशा है आप सभी ब्लौगर्स के लिए भी गुजरा साल बेहतर रहा होगा,
कामना करता हूँ कि नया साल भी आपके लिए मंगलमय हो.
शुभकामनाएं.
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...