हरदिल अज़ीज़ रेडियो प्रसारण सेवा विविध भारती, जिसे मैं प्यार से 'विभा' कहता हूँ की वर्षगांठ है आज, जिसकी शुरुआत 3 अक्टूबर 1957 को हुई थी। प्रारम्भ में इसका प्रसारण मात्र दो केन्द्रों, बम्बई तथा मद्रास से होता था जो बाद में अपनी बढ़ती लोकप्रियता के कारण आकाशवाणी के और भी केंद्रों से प्रसारित होने लगा। 'विविध' शब्द दरअसल अंग्रेज़ी के 'miscellaneous' शब्द का हिन्दी अनुवाद है, जो पं॰ नरेन्द्र शर्मा ने इस नई सेवा को दिया था।
पचास के दशक के उत्तरार्द्ध में आकाशवाणी के प्राईमरी-चैनल देश के सभी प्रमुख शहरों में सूचना और मनोरंजन की ज़रूरतें पूरी कर रहे थे। किन्हीं कारणों से तब आकाशवाणी से फिल्मी–गीतों के प्रसारण पर रोक लगा दी गयी थी। फिल्म-संगीत का यह वो सुनहरा दौर था जब फिल्म जगत के तमाम कालजयी संगीतकार एक से बढ़कर एक मधुर गीत तैयार कर रहे थे। उन दिनों श्रीलंका ब्रॉडकास्टिंग कॉरपोरेशन की विदेश सेवा, रेडियो सीलोन के नाम से जाना जाता है, हिंदी फ़िल्मी गीत प्रसारित करती थी और अपने प्रायोजित कार्यक्रमों के ज़रिये लोकप्रिय थी। ऐसे समय में आकाशवाणी के तत्कालीन महानिदेशक गिरिजाकुमार माथुर ने पंडित नरेंद्र शर्मा, गोपालदास, केशव पंडित और अन्य सहयोगियों के साथ एक अखिल भारतीय मनोरंजन सेवा की परिकल्पना की। इसे नाम दिया गया विविध भारती सेवा- आकाशवाणी का पंचरंगी कार्यक्रम। यहां पंचरंगी का तात्पर्य इस सेवा में पांचों ललित कलाओं का समावेश होने से था।
तमाम तैयारियों के साथ 3 अक्तूबर, 1957 को विविध भारती सेवा मुंबई में शुरू की गयी। विविध भारती पर प्रसारित पहला गीत पंडित नरेंद्र शर्मा ने लिखा था और इसे संगीतकार अनिल विश्वास ने संगीतबद्ध किया था। इसे प्रसार गीत कहा गया और इसके बोल थे 'नाच मयूरा नाच'। इसे मशहूर गायक मन्ना डे ने अपनी मधुर आवाज दी थी। अखिल भारतीय मनोरंजन सेवा विविध भारती की पहली उद्घोषणा शील कुमार ने की थी। आगे चलकर कई उद्घोषक इसके माध्यम से जन-जन तक पहुंचे, जिनमें अमीन सयानी और उनकी 'गीतमाला' का उल्लेखनीय स्थान रहा।
जयमाला और हवामहल विविध भारती के शुरूआती कार्यक्रम रहे हैं। ये कार्यक्रम आज पचास सालों बाद भी उतनी ही लोकप्रियता के साथ चल रहे हैं।
बदलते वक्त के साथ विविध भारती भी स्वंय को बदलती आगे बढ़ती रही। एक जमाने में विविध भारती के कार्यक्रमों के टेप विज्ञापन प्रसारण सेवा के केंद्रों पर भेजे जाते थे, और वहां से उनका प्रसारण होता था। फिर उपग्रह के जरिए फीड देने की परंपरा का आरंभ हुआ। आज किसी भी ताज़ा घटनाक्रम या सूचना को विविध भारती के कार्यक्रमों में तुरंत शामिल कर लिया जाता है।
विविध भारती डी टी एच यानी डायरेक्ट टू होम सेवा के ज़रिए भी चौबीसों घंटे उपलब्ध रहने लगी। शॉर्टवेव, मीडियम वेव और एफ एम पर भी अब यह उपलब्ध है।
विविध भारती के प्रसारण पूरे भारत के अलावा पाकिस्तान, श्रीलंका, नेपाल, बांग्लादेश सहित दक्षिण पूर्वी एशिया के कई देशों में सुने जा रहे हैं। लगभग सौ से ज्यादा स्थानीय एफ एम चैनल विविध भारती सेवा के कार्यक्रमों को अपनी दिन के प्रसारणों का हिस्सा बनाते हैं इसलिए बहुत छोटे छोटे कस्बों और गांवों में भी विविध भारती ने न सिर्फ अपनी गहरी पैठ बनाई है बल्कि प्रतिदिन नए श्रोताओं को खुद से जोड़ती आगे बढ़ रही है।
आज 3 अक्टूबर, 2021 को विविध भारती ने अपने 64 वें स्थापना दिवस से कुछ नए प्रयोग करते कुछ अंशों में सजीव प्रसारण भी आरंभ किया है। इसे News On Air एप पर सुना-देखा जा सकता है। इसी कड़ी में रेडियो नाटिका 'यात्रा 2.0' का प्रसारण किया गया। मंचीय नाटक और रेडियो नाटक में अंतर तो होता है पर किस प्रकार का यह देखना इसे और भी दिलचस्प बना गया।
वर्षों से पीढ़ी-दर-पीढ़ी श्रोताओं के दिलों पर राज करती आ रही विविध भारती के प्रति अनुराग मुझे उत्तराधिकार में मिला और धीरे-धीरे यह जिंदगी का हिस्सा बन गई। मेरी जिंदगी के पथरीले मोड़ों पर कभी-कभी इसका साथ छूटा भी, पर इसने भी समय के साथ तकनीकी तौर पर खुद को अपडेट किया और आज एप के रूप में भी साथी बन साथ है...
'विभा' बसपन की साथी है, एक सुरीली धरोहर है। दुःख-सुख की दिन, दोपहर, रात इसके साथ बीती है। बीच में कुछ अलगाव रहा पर ख़ुदा न करे फिर वैसी घड़ी आये। इसके साथ होते पूरे अकेले होने का अहसास नहीं होता। इसकी जीवन में एक ख़ास जगह है।
तुम जियो हज़ारों साल और यूँ ही सदायुवा बनी रहो...
(स्रोत: इंटरनेट से उपलब्ध जानकारियां)