शिक्षा के क्षेत्र में दिल्ली का पूरे देश में उल्लेखनीय स्थान है। पिछले कुछ सालों से स्कूलों खासकर सरकारी स्कूलों की स्थिति में भी काफी सकारात्मक बदलाव हुआ है। इसी क्रम में दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए दिल्ली सरकार द्वारा स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस की योजना आरंभ की गई है। शैक्षणिक सुधार की इस प्रक्रिया में जहाँ एक ओर दिल्ली सरकार के सभी स्कूलों को अपग्रेड किया जाएगा वहीं इस योजना के अंतर्गत नए स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सिलेंस में बच्चों की रुचियों और योग्यताओं को ध्यान में रखते उनके टैलेंट का विकास किया जाएगा। ये स्कूल कई विषयों जैसे साइंस, टेक्नलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स (स्टेम), परफॉर्मिंग आर्ट्स, ह्यूमैनिटिज और 21वीं सदी के स्किल जैसे क्षेत्रों में प्रतिभाशाली स्टूडेंट्स की प्रतिभाओं को और विकसित करेंगे। ऐसे 100 स्कूल बनाए जाएंगे और इन स्कूलों का चयन स्टूडेंट्स अपनी पसंद के आधार पर करेंगे, जहां उन्हें 9वीं से 12वीं तक शिक्षा दी जाएगी। ये मॉडल नैशनल एजुकेशन पॉलिसी 2020 (NEP) पर आधारित होगा।
दिल्ली में स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस की संख्या बढ़कर अब तक 37 हो गई है। दिल्ली के ये स्कूल 5 क्षेत्रों में स्पेशलाइज्ड एजुकेशन देते हैं, जिसमें साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथमेटिक्स (स्टेम), ह्यूमैनिटीज, परफॉर्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स, हाई-एंड 21वीं सेंचुरी स्किल्स और आर्म्ड फोर्सेज प्रीप्रेटरी स्कूल शामिल हैं। दिल्ली के हर तबके को विश्वस्तरीय शिक्षा देने की दिशा में पिछले वर्ष शुरू किए गए स्कूल ऑफ स्पेशलाइज्ड एक्सीलेंस को शानदार सफलता मिली है, इसे देखते हुए शैक्षणिक सत्र 2022-23 में दिल्ली में 11 नए स्कूल ऑफ एक्सीलेंस स्कूल स्थापित किए गए हैं। आगे चल इनकी संख्या 100 तक करने की भी योजना है।
दिल्ली सरकार के अनुसार दिल्ली प्रतिभाशाली बच्चों के लिए स्पेशलाइज्ड सरकारी स्कूलों की स्थापना करने वाला देश का पहला राज्य है। इन स्कूलों की विशेषता और लोकप्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इन स्कूलों में शैक्षणिक सत्र 2023-24 के लिए लगभग 4400 सीटों पर प्रवेश पाने के लिए 92 हजार छात्र-छात्राओं ने आवेदन किया है।
मुझे इस नए प्रयास के बारे में हाल ही ‘दिल्ली बोर्ड ऑफ स्कूल एजुकेशन’ द्वारा प्रस्तुत कार्यक्रम ‘लहर’ के माध्यम से पता चला। इस कार्यक्रम में परफॉर्मिंग एंड विजुअल आर्ट्स के चार स्कूल जो द्वारका, रोहिणी, एंड्र्यूज गंज तथा आईपी एक्सटेंशन में स्थित हैं के बच्चों ने भाग लिया था। अब टीके कई काला प्रदर्शनियां देखीं थीं, मगर उनके पीछे बड़े नाम थे या किसी प्रतिष्ठित संस्थान से शिक्षा प्राप्त कलाकार। मगर इस आयोजन में कक्षा 9 से 12 तक के बच्चे कला के उन विविध पहलुओं को प्रदर्शित कर रहे थे जिनका इस उम्र तक हमने नाम भी न सुना था। आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब ये यहाँ से आगे की अपनी शिक्षा इसी क्षेत्र में पूरी करेंगे तो तब तक वह इस विषय में कितने पारंगत हो चुके होंगे। यह प्रयोग उन्हें अपने मनचाहे विषय के संबंध में प्रामाणिक और पुख्ता जानकारी देकर उनकी नींव मजबूत कर रहा है।
सभी बच्चे एक-दूसरे से अलग होते हैं, उनकी पसंद-नापसंद भी। ऐसे में एक ही ढर्रे पर उन्हीं आगे बढ़ाने की जिद न सिर्फ उनकी प्रतिभा को कुंड करती है बल्कि उनमें शिक्षा को लेकर भी अरुचि जगाती है। ऐसे में यह प्रयोग उनमें अपनी-अपनी पसंद के क्षेत्र में पूरी रुचि और क्षमता के साथ आगे बढ़ने में मदद करेगा।
इन स्कूलों में विद्यार्थियों के पास उनकी रूचि के विषयों में प्रोजेक्ट्स, फील्ड विजिट, इंटर्नशिप इत्यादि के माध्यम से एक्सपीरियंशियल लर्निंग के अवसर उपलब्ध होते हैं। यहाँ विद्यार्थियों के सर्वांगीण विकास के साथ-साथ उन्हें उनके चुने हुए स्पेशलाईज्ड फील्ड में सफलता प्राप्त करने के लिये प्रशिक्षण दिया जाता है। इस प्रकार विद्यार्थियों को अपने पसंदीदा विश्वविद्यालय में दाखिला लेने और नए दौर के रोजगार के अवसरों पर केंद्रित तैयारी भी करवाई जाती है।
बच्चों को अंतराष्ट्रीय स्तर की शिक्षा देने के लिए दिल्ली सरकार ने विश्व के प्रख्यात संस्थानों के साथ साझेदारी की है। इन संस्थानों में इंटरनेशनल बैकलॉरिएट (आई.बी) ऑस्ट्रेलियन काउंसिल फॉर एजुकेशनल रिसर्च, बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप, इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) दिल्ली, विद्यामंदिर क्लासेज, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ फैशन टेक्नोलॉजी (एनआईएफटी) दिल्ली, टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस), नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (एनएसडी), ग्लोबल म्यूजिक इंस्टिट्यूट, लेंड-अ-हैंड इंडिया, मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन, आदि शामिल हैं, जो बच्चों को विश्वस्तरीय शिक्षा देकर उन्हें उच्च शिक्षा संस्थानों व एस्पिरेशनल करियर के अवसरों के लिए तैयार करने में मदद करेंगे।
इस सुंदर और यादगार कार्यक्रम के लिए उन्हें तैयार करने में उनके शिक्षकों की भूमिका भी सराहनीय है। ‘लहर’ कार्यक्रम के अंतर्गत प्रतिभागी छात्रों की कृतियों की एक झलक-
यमुना नदी के प्रदूषण को दर्शाती एक कलाकृति
अपनी पेंटिंग के बारे में चर्चारत छात्राएं
उपस्थित दर्शक