सुभाषचंद्र बोस - एक ऐसा नाम जो सदा-सर्वदा के लिए अपने चाहने वाले देशवासिओं के दिलो-दिमाग पर छा चूका है. यूँ तो इस नाम की छाप पूरे देश के जर्रे-जर्रे में है, मगर मैं यहाँ उनके झाड़खंड के एक छोटे से शहर हजारीबाग से जुड़े कुछ संस्मरणों की चर्चा करने जा रहा हूँ.
सन 1940 में हजारीबाग के रामगढ में कांग्रेस का 53 वाँ राष्ट्रिय अधिवेशन हुआ था, जिसकी अध्यक्षता मौलाना अबुल कलाम आज़ाद ने की थी. इसी के समानांतर सुभाष बाबु ने स्वामी सहजानंद सरस्वती के आह्वान पर 19 मार्च, 1941 को अपना प्रसिद्ध 'समझौता विरोधी सम्मलेन' किया था. हजारीबाग से उनका व्यक्तिगत जुडाव भी रहा. 11 फरवरी, 1940 को सुभाष जी का हजारीबाग आगमन हुआ और एक भव्य शोभायात्रा के पश्चात स्थानीय केशव हॉल में उनका संबोधन भी हुआ था. हजारीबाग स्टेडियम में भी राष्ट्रनायक ने जनता को संबोधित किया था. नेताजी को 1940 में कैद कर हजारीबाग केन्द्रीय कारागार में भी रखा गया था. प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार जेल में उनकी एक तस्वीर भी लगे गई थी जिसपर नेताजी के हस्ताक्षर भी थे, जो आजकल गायब है.
स्थानीय केशव हॉल |
इतिहास की कई स्मृतियों के साक्षी ये स्थल आज जानकारी और जागरूकता के आभाव में अपने महत्व को खोते जा रहे हैं, मगर स्थानीय बंग समुदाय के प्रयासों से पिछले कई वर्षों से यहाँ एक प्रतीकात्मक 'रंगून मार्च' का आयोजन होता आ रहा है, जिसमें भागीदारी नई पीढ़ी को इस महानतम से जुडी अपनी विरासत के प्रति एक सन्देश तो दे ही रही है.
देश के इस अमर सेनानी को उनके जन्मदिन के पावन अवसर पर कोटिशः नमन.....
7 comments:
इस महानायक को मेरा भी नमन ...रंगून के विशालकाय जुबली भवन में नेता जी ने उद्घोष किया था -तुम मुझे खून दो मैं तुझे आजादी दूंगा !
नेताजी सुभाष चन्द्र बोस जी को उनके जन्म दिवस पर हमारा भी नमन. उनकी जीवनी रहस्यपूर्ण रही है या बना दी गयी है.
नेताजी को शत -शत नमन ..
नेता जी के जन्मदिवस उनको शत शत नमन.
दुर्लभ जानकारी प्रस्तुत की है आपने।
नेताजी को कोटिशः नमन!!
दुर्लभ जानकारी।
बढियां विश्लेषण :)
नमन बोस जी को
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