मेरी पसंदीदा कहानियों में संभवतः
सर्वोपरि और मेरी पढ़ी हुई कहानियों में सबसे प्रारम्भिक भी... तब भी जाने क्या
देखा था इसमें कि इसके आकर्षण से कभी निकल न पाया... बाद में पता चला इसके मुरीदों
में एक मैं ही नहीं था, 1915 में छपने के सौ साल के बाद से कितनी
पीढ़ियों को इसने आज भी अपने आकर्षण में बांधे रखा है और आगे भी बांधे रहेगी। पंजाब
की गलियों की प्यार भरी गालियों के बीच पलती कच्ची उमर के प्यार की यादें, पहली
बार दिल को लगी ठेस, और इस
प्यार की यादों को दिल में सहेजे आत्मोत्सर्ग भी... क्योंकि ‘उसने’ कहा
था... क्या नहीं था इस कहानी में पाठकों को खुद से आत्मीयता कायम कर लेने के
लिए... इसी कहानी का ही वो जादुई असर था कि ये टिप्पणी एक शाश्वत आलोचना ही बन गई
जो पीढ़ियों से वरिष्ठों द्वारा नए लेखकों को प्रेरणा देती आ रही है कि “गुलेरी
बन गए हो क्या, जो एक ही कहानी से प्रसिद्ध बनना चाहते हो...?”
इस कहानी के जादू से बौलीवुड भी अछूता न रह सका और 1960 में बिमल रॉय के प्रोडक्शन
में मोनी भट्टाचार्य के निर्देशन में सुनील दत्त-नंदा को लेकर इसी नाम से फिल्म भी
बनाई गई। शैलेन्द्र के लिखे और सलिल चौधरी के संगीत से सँजोये गाने सुमधुर तो थे ही...
इस कहानी पर बाद में कई नाटकों का भी मंचन किया गया।
किसी भी
संवेदनशील हृदय को छूने में सक्षम इस कहानी हिन्दी साहित्य में एक मील का पत्थर है...
यूँ तो गुलेरी जी ने कुछ अन्य कहानियाँ भी लिखीं मगर उनकी
लेखकीय और जीवन यात्रा ज्यादा लंबी न रही... काश कि उनका लेखन हिन्दी साहित्य को
और समृद्ध कर पाता, और
मेरा सारा लेखन मिल कर भी इस एक कहानी के सदृश्य यश प्राप्त कर पाता... उसने कहा
था.....
2 comments:
सार्थक लेखन
Lucknow SEO
SEO Service in Lucknow
SEO Company in Lucknow
SEO Freelancer in Lucknow
Lucknow SEO Service
Best SEO Service in Lucknow
SEO Service in India
Guarantee of Getting Your Website Top 10
Love Stickers
Valentine Stickers
Kiss Stickers
WeChat Stickers
WhatsApp Stickers
Smiley Stickers
Funny Stickers
Sad Stickers
Heart Stickers
Love Stickers Free Download
Free Android Apps Love Stickers
Post a Comment