Sunday, May 8, 2022

गूगल_डूडल, Mothers Day और "मातृ प्रकृति" एक कानूनी इकाई के रूप में "जीवित प्राणी"

 



सर्च इंजन गूगल ने आज, 8 मई 2022 को अपना डूडल 'मदर्स डे' को समर्पित किया है। हर साल मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाता है।

गूगल ने डूडल के जरिए माँ-बच्चे के खास रिश्ते और बच्चों के विकास में मां की भूमिका को दर्शाते हुए मातृत्व का उत्सव मनाया है। गूगल ने मदर्स डे 2022 पर चार स्लाइड्स के साथ एक विशेष Gif Doodle जारी किया है।

डूडल में एक बच्चे और मां के हाथों के चार चित्र दिखाए गए हैं। पहली स्लाइड में, बच्चे को मां की उंगली पकड़े हुए दिखाया गया है, दूसरी स्लाइड में दिखाया गया है कि उन्हें ब्रेल से परिचित कराया जा रहा, तीसरी स्लाइड में उन्हें एक नल के नीचे हाथ धोते हुए दिखाया गया है, जो अच्छी आदतों को सीखाने का प्रतीक है और आखिरी में मां और बच्चे को पौधे लगाते हुए दिखाया गया है।



मदर्स डे मनाने की शुरुआत एना जार्विस नाम की एक अमेरिकी महिला ने की थी। माना जाता है कि एना अपनी मां को आदर्श मानती थीं और उनसे बहुत प्यार करती थीं। जब एना की मां की निधन हुआ तो उन्होंने उनके सम्मान में स्मारक बनवाया और मदर्स डे की शुरुआत की। उन समय इस खास दिन को मदरिंग संडे कहा जाता था।

एना के इस कदम के बाद अमेरिका के तत्कालीन राष्ट्रपति वुड्रो विल्सन ने औपचारिक तौर पर 9 मई 1914 से मदर्स डे मनाने की शुरुआत की। इस खास दिन के लिए अमेरिकी संसद में कानून पास किया गया। जिसके बाद से मई महीने के दूसरे रविवार को मदर्स डे मनाया जाने लगा।




आज यह भी जिक्र करना उल्लेखनीय होगा कि प्रकृति जो भी माँ का ही रूप है के संदर्भ में मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए इसे भी एक जीवित प्राणी के रूप में घोषित किया। मीडिया में उपलब्ध टिप्पणी के अनुसार- '... "मातृ प्रकृति" को एक कानूनी इकाई / कानूनी व्यक्ति / न्यायिक व्यक्ति/ नैतिक व्यक्ति / कृत्रिम व्यक्ति के रूप में "जीवित प्राणी" के रूप में घोषित किया, जिसे सभी संबंधित अधिकारों, कर्तव्यों और देनदारियों के साथ कानूनी व्यक्ति का दर्जा प्राप्त हो, ताकि उसे संरक्षित किया जा सके।

मदुरै पीठ की न्यायमूर्ति एस. श्रीमती ने यह भी कहा कि प्रकृति के पास अपनी स्थिति बनाए रखने और अपने स्वास्थ्य और भलाई को बढ़ावा देने के लिए अपने अस्तित्व, सुरक्षा और जीविका, और पुनरुत्थान के लिए मौलिक अधिकार / कानूनी अधिकार और संवैधानिक अधिकार होंगे। कोर्ट ने राज्य सरकार और केंद्र सरकार को धरती मां की रक्षा के लिए हर संभव तरीके से उचित कदम उठाने का भी निर्देश दिया।

"पिछली पीढ़ियों ने 'पृथ्वी माता' को इसकी प्राचीन महिमा में हमें सौंप दिया है और हम नैतिक रूप से उसी धरती माता को अगली पीढ़ी को सौंपने के लिए बाध्य हैं। यह सही समय है कि "माँ प्रकृति" को न्यायिक दर्जा घोषित / प्रदान किया जाए।" इसलिए यह कोर्ट "माता-पिता के अधिकार क्षेत्र" को लागू करके एतद्द्वारा "मातृ प्रकृति" को "जीवित प्राणी" के रूप में घोषित कर रहा है, जिसे कानूनी इकाई /कानूनी व्यक्ति / न्यायिक व्यक्ति / न्यायिक व्यक्ति / नैतिक व्यक्ति / कृत्रिम व्यक्ति के रूप में एक कानूनी व्यक्ति का दर्जा प्राप्त है, जिसे सभी संबंधित अधिकारों, कर्तव्यों और देनदारियों के साथ कानूनी व्यक्ति का दर्जा प्राप्त होगा, ताकि उसे संरक्षित किया जा सके।"

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