आज रविवारीय मूड में यादों के गलियारों से कहीं से आ भटके एक गीत को आपसे साझा करने का दिल किया.
1958 में प्रदर्शित हुई देव आनंद - वहीदा रहमान अभिनीत रफ़ी - हेमंत दा के मधुर गीतों और सचिन देव बर्मन साहब के सुमधुर संगीत से सजी राज खोसला निर्देशित फिल्म 'सोलवां साल' आज भी याद की जाती है. यहाँ यह भी उल्लेख कर दूँ कि इसे हॉलीवुड की ' इट हैपेंड वन नाईट' (1934) से भी प्रभावित माना जाता है, जिससे बौलीवुड की 'चोरी-चोरी' (1956) और 'दिल है कि मानता नहीं' (1991) भी प्रेरित मानी जाती हैं.
देव आनंद-वहीदा की जोड़ी ने इंडस्ट्री को कई यादगार फिल्में दी हैं, जिनमें से यह भी एक है. तो आइये सुनें यह गीत जिसमें देवसाहब अपनी 'वो' का तार्रुफ करा रहे हैं.
'है अपना दिल तो आवारा' तो आप सभी ने सुना होगा, मगर क्या उसका यह सैड प्रारूप भी सुना है आपने !
8 comments:
सुनकर बहुत आनन्द आ गया!
सुनकर बहुत आनन्द आ गया!
मेरा पसंदीदा गीत है।
मेरा भी पसंदीदा गीत ..
वाकई नहीं सुना था...सन्डे सफल हुआ...
गीत यह दर्दीला पहलू पहले कभी नहीं सुना था. बहुत ही अच्छा लगा. जहाँ तक याद आ रहा है कि इसी प्रकारफिल्म ममता का गीत-" रहे न रहे हम,महका करेंगे " का हेमंत कुमार का गाया हुआ गीत भी है.नई जानकारी देने के लिए धन्यवाद.
दिलचस्प !विलंबित में आ गया द्रुत से -है अपना दिल तो आवारा .
Really interesting Bittu and what songs; sheer magic.
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