शान्तिनिकेतन की मिटटी से उठने वाली खुशबू कला-संस्कृति, संगीत आदि विभिन्न पक्षों के रग-रग में रसी - बसी है. इसी खुशबू को अपने अन्दर बसाये और अपने चारों ओर धीमे-धीमे महका रहे कलाकारों में एक नाम दीपाली साहा का भी है. हाल ही में इनके चित्रों की एक प्रदर्शनी नई दिल्ली के इण्डिया हैबिटेट सेंटर में देखने को मिली, जिसने वाकई काफी प्रभावित किया. ' Ecological Agonies :- Tribute to Rabindranath Tagore ' नामक इस कला प्रदर्शनी में इस कलाकार के कई पक्षों को देखने का अवसर मिला.
उनकी कला में पर्यावरण, शान्तिनिकेतन के उनके अनुभव, टैगोर के विचारों का प्रभाव तथा निश्चित रूप से उनके व्यक्तिगत अनुभवों की भी प्रचुर झलक मिलती है.
आसनसोल में जन्मीं और विश्व भारती से बैचलर ऑफ़ फाइन आर्ट्स की शिक्षा प्राप्त कर चुकीं दीपाली के देश-विदेश में कई एकल और ग्रुप प्रदर्शनियां आयोजित हो चुकी हैं. कला जगत के कई महत्वपूर्ण पुरष्कारों से भी वो सम्मानित हो चुकी हैं. उनकी कृतियों में दार्शनिक और विश्लेषणात्मक दृष्टिकोण की बखूबी झलक मिलती है जो उनके द्वारा प्रयोग किये गए रंगों के विशिष्ट चयन में और भी प्रखरता से उभर कर सामने आती है.
उनकी कृतियाँ उनके एक उत्कृष्ट कलाकार के रूप में उभरने की तमाम संभावनाएं दर्शाती हैं. ऐसे कलाकारों के माध्यम से ही गुरुदेव और शान्तिनिकेतन की माटी की खुशबू समस्त विश्व में व्याप्त होती रह सकेगी. कला जगत में उनके स्वर्णिम भविष्य की शुभकामनाएं.
8 comments:
उदीयमान कलाकार से तारुफ़ करने के लिए...धन्यवाद...
सुंदर कृतियाँ , दीपाली जी को शुभकामनायें
दीपाली जी और उनकी कला से रूबरू कराने का आभार.
दीपाली साहा जी को उनकी कलाकृतियों की प्रदर्शिनी पर बधाई और दीपाली से परिचय कराने के लिए आपका आभार.
BEST WISHES TO DIPALI SAHA.
THANKS TO INTRODUCING HER.
दीपाली जी को शुभकामनायें.
दीपाली साहा :व्यक्ति और कृति से परिचय का आभार!
she is indeed a great artist..
thanks 4 sharing !!
hope u doig fine Abhishek :)
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