हिमपात
खत्म होने के बाद बदलते मौसम में कश्मीर की वादियाँ जहाँ अपनी खूबसूरती की नई
परतें उतार रही थीं, वहीँ एक नई प्राकृतिक समस्या भी उभर रही है. मगर ये समस्या
आयातीत ही ज्यादा प्रतीत हो रही है. रुसी पोपलर के नाम से जाने वाले एक वृक्ष से
रुई की तरह उड़ते पराग से स्थानीय निवासियों में एलर्जी की समस्या खतरनाक रूप से बढ़
रही है.
अक्सर
पाया जाता है कि इस तरह के आयातीत समाधान हमारी समस्याओं को बढ़ाने वाले ही साबित
हुए हैं. ऐसे में क्या उचित नहीं कि ऐसे किसी भी निर्णय पर पहुँचने से पहले उचित
शोध और कृषि वैज्ञानिकों से पर्याप्त चर्चा व सहमति कायम करने के प्रयास कर लिए
जायें ! ताकि हमारे देश का पर्यावरण सुरक्षित रह सके.....
4 comments:
ब्लॉग बुलेटिन की आज की बुलेटिन खुद को बचाएँ हीट स्ट्रोक से - ब्लॉग बुलेटिन मे आपकी पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
सही सोच से निर्णय लेने से ही पर्यावरण को सुरक्षित रखा जा सकेगा।
बिना विचारे जो करे ,सो पाछे पछिताय!
कभी कभी तो जानकारों की मदद ले ही लेने चाहिये.
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