Wednesday, July 23, 2014

ऑल इंडिया रेडियो की वर्षगांठ पर कुछ यादें...




आज  औल इंडिया रेडियो की 87 वीं सालगिरह है। 23 जुलाई 1927 को ही मुंबई में रेडियो प्रसारण की शुरुआत हुई थी। टीवी की धमक से रेडियो आज चाहे घर के एक कोने में सिमट गया हो, मगर एक समय में स्टेटस सिंबल से आगे बढ़ता हुआ आम आदमी के लिए सूचना और मनोरंजन का यह सबसे प्रभावशाली माध्यम था। सुबह की शुरुआत इस पर आने वाले भजनों के साथ तो रात में उद्घोषक की विदा के साथ सोने की भी तैयारी। निशाचर विद्यार्थियों के अलावे भी  जो अन्य शामिल हों उनका साथ रात भर भी बखूबी देता था रेडियो। और इसकी सबसे बड़ी बात ये कि इसमें हमेशा आँखें गड़ाए रखने की जरूरत भी नहीं, कमरे के एक कोने या सामने रखी मेज पर अनवरत चलने वाला यह रेडियो अकेलेपन का एहसास भी नहीं होने देता था। इसका होना मानो साथ में हरदम एक मित्र की उपस्थिति से कम नहीं था, जिसके साथ जानकारी और मनोरंजन दोनों के ही लम्हे बिताए जा सकते थे। बचपन में कइयों की स्मृति में बसा होगा माँ का रेडियो से किसी खास व्यंजन की विधि नोट करना तो कभी लोकगीत को जल्दी-जल्दी अपनी डायरी में उकेरना। सुबह समाचारों के वक्त आस-पास के एक-दो और चाचाओं-मामाओं का आ जुटना। और ताज्जुब ये कि रेडियो के 15 मिनट के संक्षिप्त और संश्लिष्ट ख़बरों का मुक़ाबला आज के 24X7 खबरिया चैनल भी नहीं कर पाते। कई इतिहास रचती ख़बरों, ऐतिहासिक कमेंट्रीयों और भूले-बिसरे गानों की स्मृतियाँ आज भी कइयों के जेहन में यूँ ही जीवंत हैं।

रेडियो की प्रासंगिकता आज भी ख़त्म नहीं हुई है। समय के साथ स्वरूप में थोड़े परिवर्तन जरूर आए हों, मगर विविध भारती जैसी मनोरंजन सेवा की लोकप्रियता, कई नए एफ़एम स्टेशनों की होड़ इसकी उपयोगिता की स्वीकृति को ही दर्शाते हैं। आधुनिक गाड़ियों आदि में भी एफ़एम इंस्टाल करवा लोग सफर के साथ न सिर्फ जानकारी और मनोरंजन  के इस माध्यम से जुड़े हुये हैं, बल्कि इसने तो यातायात, मौसम सहित आवश्यकतानुसार लाइफ़लाइन आदि की सुविधाएँ उपलब्ध करवा कई परेशानियों और आपदाओं आदि का सामना करने में भी कारगर मदद पहुँचाई है।

इस प्रभावशाली माध्यम से जुड़े लोगों को शुभकामना के साथ आशा है सूचना के इस दौर में विभिन्न प्रसार माध्यमों के साथ रेडियो भी कदम-से-कदम मिलकर आगे बढ़ता रहे हम सभी की जिंदगी को छूते हुये और इस व्यस्ततम जिंदगी को सुकून देने वाली कुछ पुरानी यादों को ताजा करते हुये... 

4 comments:

कालीपद "प्रसाद" said...

रेडिओ आज भी महत्वपूर्ण है !

विभूति" said...

behtreen prstuti....

ब्लॉग - चिट्ठा said...

आपके ब्लॉग को ब्लॉग एग्रीगेटर ( संकलक ) ब्लॉग - चिठ्ठा के "विविध संकलन" कॉलम में शामिल किया गया है। कृपया हमारा मान बढ़ाने के लिए एक बार अवश्य पधारें। सादर …. अभिनन्दन।।

कृपया ब्लॉग - चिठ्ठा के लोगो अपने ब्लॉग या चिट्ठे पर लगाएँ। सादर।।

रत्ना रॉय said...

बहुत सुंदर!!
रेडियो परिवार का हिस्सा होने पर गर्व अनुभव करती हूँ।आल इंडिया रेडियो मनोरंजन के अतिरिक्त शुद्ध उच्चारण इंग्लिश हो या हिंदी दोनों ही के लिए एक अच्छा स्त्रोत था।
यहां उच्चारण की शुद्धता पर बहुत ज़ोर दिया जाता था।
रेडियो ने ही सिखाया था 'हम'शब्द का महत्व। रेडियो एक टीमवर्क है और उद्घोषक 'हम' कह कर समस्त टीम की आवाज़ का प्रतिनिधित्व करते हैं।

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