गीत-संगीत का हमारे जीवन में अहम् स्थान है। यही कारण है कि हिंदुस्तानी सिनेमा से भी गानों को अलग नहीं किया जा सकता। होली गीतों के साथ भी यही बात है। कई बेहतरीन गाने जुड़े हैं इस पर्व से। कुछ गाने कहानी को आगे बढ़ाते हैं (जैसे शोले), तो कुछ इसी लिए डाल दिए गए कि होली के बहाने थोड़ी 'लिबर्टी' ले ली जाये। मगर यादों में वही गाने रह जाते हैं जो कहीं न कहीं आपको भी कहीं छु जाते हों। वैसे भी होली के इतने रंगों में कोई भी आपको छु न जाये ये हो भी नहीं सकता। इन गानों की सफलता भी इसी में है कि आज नहीं तो कल कभी न कभी आपको खुद से जोड़ते ही हैं। अपने मनपसंद कुछ फ़िल्मी होली गानों का जिक्र कर रहा हूँ, आप भी अपने पसंदीदा गानों को जोड़ना चाहें तो अच्छा लगेगा...
मोहे पनघट पे:- क्लासिकल
होली आई रे कन्हाई:- हिंदुस्तानी मिट्टी की सुगंध लिए
जा रे हट नटखट:- राधा-कृष्ण की होली एक ही पात्र के द्वारा अभिव्यक्त
रंग बरसे:- होली के राष्ट्रीय गीत सदृश्य मान्यता प्राप्त यह गीत मुझे चारों मुख्य कलाकारों के बेहतरीन अभिनय के लिए ही पसंद है
सात रंग में खेल रही है:- 'आखिर क्यों' प्रश्न की शुरुआत ही इस गाने से है
होली आई होली आई:- अनिल कपूर का टपोरी अंदाज
आज न छोड़ेंगे:- राजेश खन्ना का आमंत्रण और आशा पारेख की बेबसी...
इनके अलावे 'सौदागर' में राज कुमार-दिलीप कुमार का होली दृश्य भी यादगार था...
ये तो थे मेरे मनपसंद सात रंग। आप चाहें तो अपने रंग भी जोड़ इसे आगे बढ़ा सकते हैं.....
1 comment:
एक शानदार रचना की प्रस्तुति।
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