9 जुलाई गुरूदत्त और संजीव कुमार दोनों की ही जन्मतिथि है। दोनों ही अद्वितीय प्रतिभा के धनी कलाकार और दोनों ही लगभग समान मनोदशा से गुजरते असमय मृत्यु के आगोश में ही आखिरकार सुकून पा सके।
किस्मत है...
वो मर गए, वो जिंदा हैं, खुश हैं, जिंदगी के साथ आगे बढ़ गए, जिंदगी के फ़लसफ़े पर ज्ञान देते हैं... किस्मत है...
हाँ, किस्मत ही है जो सीधे तो नहीं पर अप्रत्यक्ष रूप से दोनों को जोड़ती भी है। के आसिफ़ साहब ने 'Love And God' के लिए गुरुदत्त का चयन किया। उनकी मृत्यु के बाद संजीव कुमार के साथ यह फ़िल्म बननी शुरू हुई।
इस फ़िल्म की भी अपनी ही किस्मत थी। फ़िल्म निर्माण के मध्य निर्माता-निर्देशक के आसिफ खुद ही दुनिया छोड़कर चले गए, 80 के दशक में उनकी पत्नी अख्तर आशिफ ने अपने पति के अधूरे ख्वाब को पूरा करने का फैसला किया। काफी कोशिशों और करीब 20 सालों से ज्यादा वक्त के बाद आखिरकार 1986 में ‘लव एंड गॉड’ प्रदर्शित हुई। यह फ़िल्म नौशाद और रफी की भी आखिरी फिल्म बनी, फिल्म की हिरोइन निम्मी की भी ये आखिरी फिल्म रही और अंततः इस फिल्म के हीरो संजीव कुमार भी इस फिल्म को नहीं देख पाए। रिलीज से पहले ही संजीव कुमार भी इस दुनिया में नहीं रहे।
किस्मत है...
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