Saturday, September 27, 2008

गूगल

वर्तमान की धरोहर- 'Google'

आपने ध्यान दिया की हमारा पसंदीदा सर्च इंजन अपनी स्थापना की 10 वीं सालगिरह मना रहा है!

आइये एक संछिप्त नजर डालते हैं इसके सफर पर.
Google की शुरुआत 1996 में Larry Page, जो एक शोध छात्र थे, के रिसर्च प्रोजेक्ट के रूप में हुई। शिक्षक Terry Winograd के प्रत्साहन और घनिष्ठ मित्र Sergey Brin के साथ मिल उन्होंने अपने इस कार्य को विस्तार दिया, और डोमेन google।con का रजिस्ट्रेशन 15/09/1997 कराया गया। 7/09/1998 को मेन्लो पार्क, कैलोफोर्निया में इनकी कंपनी 'Google Ink' अस्तित्व में आई।
यहां यह उल्लेख करना रोचक होगा की google मूलतः 'googol' की अशुद्ध वर्तनी है, जिसका अर्थ होता है एक ऐसी संख्या जिसमे 1 के आगे 100 शून्य लगे हों। आज यह दुनिया का सबसे बड़ा सर्च इंजन है, और इसकी उपयोगिता किसी संख्या की मुहताज नहीं। हमारे लिए यह कितना महत्वपूर्ण है यह बताने की तो जरूरत ही नहीं। तो क्यों न हम भी कहें- 'हैप्पी बर्थडे टु google'।

Saturday, September 13, 2008

बोलते पत्थर

Abhishek Mishra at Equinox Site

A beautiful view of Equinox
धरोहर की पृष्ठभूमि झारखण्ड से जुड़ी होने के कारण स्वाभाविक है की इसमे झारखण्ड की विरासत की भी चर्चा हो। आज चर्चा एक ऐसे स्थल की जो झारखण्ड में एक समृद्ध प्राकैतिहाषिक सभ्यता के अस्तित्व की पुष्टि करता है।
झारखण्ड की राजधानी रांची से लगभग 90 km की दुरी पर हजारीबाग जिला स्थित है, जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता की वजह से काफी चर्चित रहा है। यहीं से 25 km की दुरी पर बडकागांव प्रखंड में स्थित है - पंखुरी बरवाडीह गांव। यहाँ बड़े-बड़े पत्थरों से बनी वो संरचना संभवतः तब से खड़ी है जब मानव गुफाओं से बाहर निकल अपनी धरती के रहस्यों को समझने का प्रयास आरंभ कर रहा था. इंग्लैंड के स्टोन हेंज (Stone Henge) जो Solstice के अध्ययन के लिए निर्मित किए गए थे उन्ही के सदृश्य यह megalithic स्थल संभवतः Equinox के अवलोकन के लिए प्रयुक्त होता था. आज भी यहाँ २१ मार्च व २३ सितम्बर को २ विशाल पत्थरों के बीच बनी 'V' आकृति से सूर्य को उगते देखा जा सकता है. जाहिर है की इस पॉइंट से सूर्य की उत्तरायण व दक्षिणायन गति भी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है.
Equinox को देखने की लगभग लुप्त हो चुकी परम्परा को पुनः स्थापित करने वाले अन्वेषक श्री शुभाशीष दास मानते हैं की यह स्थल कई और खगोलीय रहस्यों को उजागर कर सकता है. यह संभवतः भारत का एकमात्र स्थल है जहाँ आम लोग सिर्फ़ Equinox के अवलोकन के लिए जुटते हैं.
तो आइये इस माह २३ सितम्बर को आप भी Equinox का उत्सव मनाने पंखुरी बरवाडीह(महाविषुव स्थल)।

Thursday, September 11, 2008

भूमिका



" जब तलवार मुकाबिल हो तो ब्लॉग शुरू करो ", शायद ये पंक्तियाँ आज ज्यादा सटीक होंगीं. सम्पूर्ण विश्व का इतिहास इस बात का साक्षी है की कलम ने हर युग, हर परिस्थिति में अपना सशक्त प्रतिरोध दर्ज किया है और कलम की इसी ताकत पर विश्वास का प्रतीक है यह प्रयास. 'धरोहर' (An Amateur's Club), जो संभवतः अपनी तरह का एक अकेला Group है, अभिव्यक्ति है उस युवा सोच की जो अपनी आंखों के सामने अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को विभिन्न दबावों में ध्वस्त होते देख रहा है. यह एक मंच है सभी युवाओं के अपनी संस्कृति को जानने, समझने तथा उसकी साझेदारी का. यहाँ युवा का तात्पर्य सिर्फ़ बाह्य नही बल्कि आंतरिक रूप से युवा होने से है. अतः आशा है इस प्रयास को अन्य युवाओं का भी सक्रिय सहयोग मिलेगा.

Wednesday, September 3, 2008

Welcome


Welcome to the world of your own Dharohar.Come, Join & share your thoughts, ideas & informations about our rich heritage.Either it is archaeological, historical, cultural, literatures or folk tales/songs.

On the inogration of this blog I'd like to share about the annual event "Patangotsava",organised by our young group-'Dharohar'( An Amateure's Club).To revive the dying tradition of kite flying we started this event annually.Perhaps it is the only one group in Jharkhand which organise this kind of event without any external & government help ,based on its own limited resources.People of the Hazaribag district(Jharkhand)admiring & supporting our attempt,which is our source of inspiration.
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...