" जब तलवार मुकाबिल हो तो ब्लॉग शुरू करो ", शायद ये पंक्तियाँ आज ज्यादा सटीक होंगीं. सम्पूर्ण विश्व का इतिहास इस बात का साक्षी है की कलम ने हर युग, हर परिस्थिति में अपना सशक्त प्रतिरोध दर्ज किया है और कलम की इसी ताकत पर विश्वास का प्रतीक है यह प्रयास. 'धरोहर' (An Amateur's Club), जो संभवतः अपनी तरह का एक अकेला Group है, अभिव्यक्ति है उस युवा सोच की जो अपनी आंखों के सामने अपनी ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और प्राकृतिक विरासत को विभिन्न दबावों में ध्वस्त होते देख रहा है. यह एक मंच है सभी युवाओं के अपनी संस्कृति को जानने, समझने तथा उसकी साझेदारी का. यहाँ युवा का तात्पर्य सिर्फ़ बाह्य नही बल्कि आंतरिक रूप से युवा होने से है. अतः आशा है इस प्रयास को अन्य युवाओं का भी सक्रिय सहयोग मिलेगा.
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4 comments:
Kafi acha prayas hai ye apka. apni sanskriti ko pehchanane ki kafi jaroorat hai aaj. All the best.
जब भी किसी सहयोग कि जरुरत पड़े याद कीजियेगा
शुभकामनायें
बस जरा ये वर्ड वेरिफिकेशन हटा दीजिये
Thankyou Roshan ji, for your wishes and suggestions.
8Abhishek ji.... Aapaki rachaanaa Bhoomika kata parhi. wichar vyakta karane ki shaili ne prabhaavit kiyaa. Samay nikaal kar anya rachnaayein bhi parhanaa chaahoonga.
Aapane meri rachanaa 'MERI CHAAHAT' ki kuchh panktiyon ko saraha, isake liye main aapaka hrudaya se aabhaari hoon. aap mujhe http://dayalkeshav.blogspot.com par bhi parha sakate hain. Maine haal mein hi blogspot.com par shuruaat ki hai. Main appaki sevaa mein http://shriksishna4.rediffiLand.com par bhi paa sakenge. .... Dhanyawwad.
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