Saturday, September 13, 2008

बोलते पत्थर

Abhishek Mishra at Equinox Site

A beautiful view of Equinox
धरोहर की पृष्ठभूमि झारखण्ड से जुड़ी होने के कारण स्वाभाविक है की इसमे झारखण्ड की विरासत की भी चर्चा हो। आज चर्चा एक ऐसे स्थल की जो झारखण्ड में एक समृद्ध प्राकैतिहाषिक सभ्यता के अस्तित्व की पुष्टि करता है।
झारखण्ड की राजधानी रांची से लगभग 90 km की दुरी पर हजारीबाग जिला स्थित है, जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता की वजह से काफी चर्चित रहा है। यहीं से 25 km की दुरी पर बडकागांव प्रखंड में स्थित है - पंखुरी बरवाडीह गांव। यहाँ बड़े-बड़े पत्थरों से बनी वो संरचना संभवतः तब से खड़ी है जब मानव गुफाओं से बाहर निकल अपनी धरती के रहस्यों को समझने का प्रयास आरंभ कर रहा था. इंग्लैंड के स्टोन हेंज (Stone Henge) जो Solstice के अध्ययन के लिए निर्मित किए गए थे उन्ही के सदृश्य यह megalithic स्थल संभवतः Equinox के अवलोकन के लिए प्रयुक्त होता था. आज भी यहाँ २१ मार्च व २३ सितम्बर को २ विशाल पत्थरों के बीच बनी 'V' आकृति से सूर्य को उगते देखा जा सकता है. जाहिर है की इस पॉइंट से सूर्य की उत्तरायण व दक्षिणायन गति भी स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है.
Equinox को देखने की लगभग लुप्त हो चुकी परम्परा को पुनः स्थापित करने वाले अन्वेषक श्री शुभाशीष दास मानते हैं की यह स्थल कई और खगोलीय रहस्यों को उजागर कर सकता है. यह संभवतः भारत का एकमात्र स्थल है जहाँ आम लोग सिर्फ़ Equinox के अवलोकन के लिए जुटते हैं.
तो आइये इस माह २३ सितम्बर को आप भी Equinox का उत्सव मनाने पंखुरी बरवाडीह(महाविषुव स्थल)।

21 comments:

Arvind Mishra said...

अभिषेक ,कैसे हैं ? आप कृपया अपने ब्लॉग का टेम्पलेट बदल देन और लाल रंग के बजाय कंट्रास्ट रखें -इसे पढने में मुश्किल हो रही है !

admin said...

सच में ये पत्‍थर चुप रह कर भी बहुत कुछ कहते हैं।

अभिषेक मिश्र said...

Arvind Ji, aapke sujhav ke anurup badlav ki koshish ki hai, ummeed hai pasand aayegi.

परमजीत सिहँ बाली said...

bahut baDhiyaa posT hai

सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी said...

हमें तो इस पते का आज ही पता चला, सो स्वागत करने चले आये। अच्चा है, नियमित लिखते रहें। शुभकामनाएं।

Udan Tashtari said...

हिन्दी चिट्ठाजगत में आपका स्वागत है. नियमित लेखन के लिए मेरी हार्दिक शुभकामनाऐं.

अभिषेक मिश्र said...

Aap sabhi ki ummedon par khara utarne ka prayas karega yeh blog. dhanyavad.

प्रदीप मानोरिया said...

सार्थक सटीक और शानदार आपका हिन्दी चिठ्ठा जगत में हार्दिक स्वागत है . मेरी नई पोस्ट पढने आप मेरे ब्लॉग "हिन्दी काव्य मंच " पर सादर आमंत्रित हैं

अभिषेक मिश्र said...

Dhayawad Pradeep ji.

L.Goswami said...

आप झारखण्ड से हैं जानकर आपार हर्ष हुआ( मेरी जन्म भूमि जो है) .आपका प्रयास निसंदेह सराहनिए है ..एक सुंदर प्रयास के लिए ह्रदय से बधाई स्वीकारें.

अभिषेक मिश्र said...

Dhanyavad Lavli Ji, aapke protsahan ke liye. Is blog par abhi Jharkhand ke aur bhi kai chupe rahasya samne aane wale hain.bas intejar aur blog visit karti rahen.

Vineeta Yashsavi said...

umid hai ki ab jharkhand ke bare mai janne ko milega

अभिषेक मिश्र said...

vinita ji, aapki ummeed hamare liye prerna ka kaam karegi. Hausala badhati rahein.

Subhashis Das. said...

Bittu,
Good for publicising the lesser known aspects of India particularly the viewing of the Equinoxes through megaliths. It is historical and a powerful experience and you've really made me feel proud for all of these.
Thank you son.
God bless you in all your future endeavours
Mausaji
P.S. You do look good beside the female stone !!!

Keshav Dayal said...

Abhishek ji, aapane hamaari dharohar ki taraf dhyaan dilakar sarahniya karya kiya hai. Isake liye aapako dhanyawwad.

Keshav Dayal said...

Abhishek ji, aapane hamaari dharohar ki taraf dhyaan dilakar sarahniya karya kiya hai. Isake liye aapako dhanyawwad.

adil farsi said...

घन्यवाद अभिषेक जी.. आप का बलाग भी रोचक है .... बधाई ।

Puja Upadhyay said...

अच्छी श्रृंखला शुरू की है आपने...विषय भी रोचक हैं और आपका लिखने का अंदाज भी. झारखण्ड के लोकगीतों और नृत्यों का भी एक अलग कहानी है, पत्थरों के गीत और जंगल की धुन की तरह...काफ़ी उर्वर है झारखण्ड भूमि. उम्मीद है आप नियमित लिखेंगे ताकि हमें कई अनछुए पहलुओं पर जानकारी मिल सके. मेरी शुभकामनाएं.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
--
आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल सोमवार (08-09-2014) को "उसके बग़ैर कितने ज़माने गुज़र गए" (चर्चा मंच 1730) पर भी होगी।
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चर्चा मंच के सभी पाठकों को
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

कविता रावत said...

बहुत बढ़िया रोचक जानकारी..

sanjay said...

बढ़िया जानकारी। शुक्रिया।

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