भारतीय चित्रकला के सशक्त हस्ताक्षर मंजीत बावा, जिन्हें आदर से लोग बाबा भी कहते थे नहीं रहे. ३ साल तक कोमा में रहने के पश्चात 29 दिसम्बर की सुबह उनका निधन हो गया.
पंजाब के धुरी में 1941 में जन्मे बाबा ने दिल्ली आर्ट कॉलेज और लन्दन स्कूल ऑफ़ प्रिंटिंग से चित्रकारी के गुर सीखे. 'प्यार और शान्ति', 'बांसुरी' , 'कृष्ण' आदि उनकी प्रसिद्ध कृतियाँ थीं. काली और शिव को वो भारत के प्रतीक के रूप में देखते थे. उनकी कला सूफी दर्शन, आध्यात्म और भारतीय मिथकों से प्रभावित रही. कैनवास पर तीखे रंगों की स्याही से उकेरी गई कला उनकी विशिष्टता थी. अन्तराष्ट्रीय स्तर पर भी भारतीय चित्रकला को प्रसिद्धि दिलाने में उन्होंने अहम् भूमिका निभाई थी. हाल ही में लगभग १.५ करोड़ में नीलाम की जाने वाली अपनी एक पेंटिंग के लिए भी वो चर्चा में रहे थे.
कला के इस अथक साधक को हमारी और से श्रद्धांजली.
Saturday, January 3, 2009
भारतीय चित्रकला की धरोहर- मंजीत बावा
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
10 comments:
hamaari shardhaanjlibhi un ke liye sveekar karen
Baba ke jane a mujhe bhi afsos hai.mai unke baare mai zyada to nahi janti per unki painting dekhna bahut achha lagta tha. khaskar unki painting ke chtakh rango ko.
kala ke is mahaan sadhak ke jaane ka hame bhi utna hi dukh hai jitna ki kala jagat ko hai. per us se bhi jayada dukh is baat per hota hai ki desh ke in hunermand logo ki pahachan un ke chale jane per hi kyo hoti hai. Aam janta ke beech ye gom kyo rah jate hai. desh ki adhi se bhi jyada janata abhi bhi ense bekhber hogi.
मंजीत बाबा के रूप में हमने एक बहुत बडा चित्रकार खो दिया।
क्या कहूँ इससे ज्यादा की बहुत अफ़सोस है..........मगर इस चमन में तो यूँ गुल खिलते रहेंगे.....बिखरते रहेंगे...........!!
hamaree bhi shraddhanjali.
भारतीय चित्र कला की धरोहर मंजीत बावा जी के चले जाने का हर सच्चे भारत वासी को अफ़सोस है
वो सिर्फ़ एक चित्रकार ही नही, बल्कि एक महान चिन्तक भी थे
और कहीं पढ़ा था कि वो एक अच्छे बांसुरी वादक भी थे ...
आपके इस आलेख के माध्यम से मैं अपनी श्रद्धांजली प्रस्तुत करता हूँ .
---मुफलिस---
मंजीत बाबा जी को हमारी तरफ़ से भी श्रद्धांजली
Bharat ne ak ratn kho diya ,vo chitra kala ki duniya me hamesha amar rahenge
Bharat ne ak ratn kho diya ,vo chitra kala ki duniya me hamesha amar rahenge
Post a Comment