सारे देश में जब रामनवमी का उल्लास ढलान पर होता है, हजारीबाग में यह आयोजन जोर पकड़ रहा होता है. चैत माह के शुक्ल पक्ष की दशमी से आरम्भ झांकियों का क्रम त्रयोदशी की शाम तक जारी रहता है. इसमें आस-पास के शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों से भी सैकड़ों झांकियां शामिल होती हैं जिन्हें देखने के लिए अपार जनसमूह उमड़ पड़ता है. महिलायें और बच्चे अपनी सुविधानुसार जुलूस मार्ग के मकानों की छतों पर कब्जा जमा लेते हुए इस आयोजन की छाप अपने दिलों में बसा लेते हैं.
इस प्रक्रिया में सबसे ज्यादा मुस्तैदी दिखानी होती है प्रशासन को. पारंपरिक मार्ग से जुलूस का शांतिपूर्वक गुजर जाना ही प्रशासन की प्राथमिकता होती है.
प्रारंभ में तो यह आयोजन महावीरी झंडों और पारंपरिक अस्त्र-शस्त्र के प्रदर्शन और परिचालन के रूप में एक प्रकार का शक्ति पर्व ही था, मगर युवा पीढी पर हावी होती आधुनिकता और आडम्बरों से अब यह पर्व भी अछूता नहीं रहा है. फिर भी रामनवमी के इस स्वरुप का अवलोकन अपने-आप-में एक अलग अनुभव है, जिसके साक्षात्कार का अवसर पाने का प्रयास जरुर किया जाना चाहिए.
7 comments:
अनूठी जानकारी. सुन्दर आलेख. आभार.
हाँ अभिषेक जी,
सही कह रहे हो. पूरे देश में तो रामनवमी केवल नवमी तक ही मनाई जाती है, और आप बता रहे हो कि हजारीबाग में दशमी के बाद!!!!!!
झारखंड में रामनवमी के दिन जुलूस निकाली जाती है और जगह जगह पर अस्त्र शस्त्र और लाठी चलाने का प्रदर्शन होता है ... मैने ऐसा कहीं और होते नहीं सुना।
yah jankari mere liye endam nayi aur bahut rochak hai...
झारखंड में रामनवमी के दिन जुलूस निकाली जाती है और जगह जगह पर अस्त्र शस्त्र और लाठी चलाने का प्रदर्शन होता है ... मैने ऐसा कहीं और होते नहीं सुना।
गज़ब की जानकारी दी है.
आभार.
चन्द्र मोहन गुप्त
प्रिय अभिषेक, झारखण्ड की रामनवमी सम्बन्धी चित्र और विवरण रोचक है. कभी आपके साथ चल कर इसे कवर करूंगा. आपने स्थान के बारे में नहीं बताया ?
Sorry, dear It is Hazaribagh.
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