(अरुणाचल का अनदेखा - अनछुआ सौंदर्य पहली बार सिर्फ आपके लिए)
जाते थे जापान, पहुँच गए चीन- मेरे लिए इस कहावत का भावात्मक ही नहीं, शब्दात्मक संबंध भी है. कैसे! यह कभी और बताऊंगा. फिलहाल तो यही की अकादमिक जगत में कैरियर की संभावनाएं तलाशता अब कन्ष्ट्रक्शन के क्षेत्र में आ गया हूँ; और इस सुदूर अरुणाचल में 'आने वाले कल की बुनियाद' रख रहा हूँ. हाल के फिल्ड वर्क के अनुभवों की चर्चा अगली पोस्ट्स में करूँगा.
इस बार आप तक पहुंचा रहा हूँ इस सुदूरवर्ती क्षेत्र के अछूते और अप्रतिम सौंदर्य को झलकाती चंद तस्वीरें :
1. हुस्न पहाडों का
2. इजाजत हो तो इसे 'मन्दाकिनी फाल नाम दे दूँ ?
3. झर-झर झरते पड़ी झरने
4. नवयौवना नदी की अल्हड़ मस्ती
6 comments:
इस अनाम सुंदरता को कोई भी नाम दे या न दें ..बहुत फ़र्क नहीं पडता मैं तो सोच के ही रोमांचित हूं कि आपने ये अपनी आखों से देखा..हमें दिखाने के लिये धन्यवाद..
सुन्दर .. भाग्यशाली हैं आप जो इस सौन्दर्य को स्पर्स करके महसूस कर सके.
बहुत मन-मोहक चित्र हैं।
बहुत-बहुत बधाई!
बहुत सुंदर द्र्श्य. धन्यवाद
bahut sundar nazare hai...
बहुत सुंदर तसवीरें दिखाने का आभार । शीर्षक तसवीर के नीचे लगाते तो और भी अच्छा होता ।
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