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मान्यता है कि बजरंग बली भगवान श्री राम से आशीर्वाद प्राप्त कर अजर-अमर हो गए और हिमालय की ही किसी कन्दरा में तपस्यालीन हैं. इस मान्यता में सच्चाई कितनी है यह तो ज्ञात नहीं मगर अरुणाचल में एक स्थल है जहाँ पर्वतों पर ubhari एक छवि बजरंग बली के रूप में ही देखी जाती है.
अरुणाचल के प. सियांग जिले के एक महत्त्वपूर्ण स्थल मेचुका से लगभग 10 किमी. की दुरी पर हनुमान कैंप है. उसके थोडा पहले ही एक view पॉइंट से सामने की पहाड़ी पर पत्थरों की बनी एक मानवीय आकृति सा आभास मिलता है, जिसे बजरंग बली की छवि माना जाता है. आस्था और विज्ञान के सवालों से परे खुबसूरत वादियों और पहाड़ियों के बीच यह स्थल धार्मिक लिहाज से भी अनूठा है.
8 comments:
कहाँ कहाँ तक पहुँच चुके हैं हनुमान जी !
जानकारी बहुत अच्छी है हमेशा की तरह ज्ञानवर्धक. पर ये इंडिया टी वी का क्या चक्कर है. वैसे इस तरह की बातें उसी चैनेल पर ज्यादा दिखती हैं मिर्च मसाले के साथ गर्म मसाला भी खूब होता है. क्या यही कारण है ?
बहुत उपयोगी जानकारी!
मगर पवनपुत्र तो हवा में उड़ते थे!
मिश्रा जी, यह सब गलत है... ओर टी वी वाले यु ही बाते बना देते है, कुछ एक सालो मे इस चट्टन का रुप बदल जायेगा, वेसे मै आप को एक दो चित्र स्विस मै शुट किये भेजूंगा जिस मै एक पहाडी कभी सिव जी का रुप तो कभी गणेश जी का रुप लगती है, यह सब हमारी कलपना है भगवान कभी भी ऎसे रुप मै नही दिखते.
धन्यवाद
राज भाटिया जी सही कह रहे हैं
हनुमान जी तपस्यारत हैं वहाँ ? आकृति तो हम देख ही लेते हैं बहुत-सी जगहों पर !
आभार ।
Bittu,
The snap is really outstanding and surely calls for an award. But whether it is man made or just a freak of nature needs to be closely studied.
However there are evidences all over the world where early humans of the megalithic age had sculpted faces at the most awkward of the places.
But for heaven's sake even if the local legend suggests please donot associate it with our good old Hanuman ji.
Subhashis das (mausaji)
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