कई देशी-विदेशी प्रकाशन समूहों के साथ पुस्तक प्रेमियों के लिए पलक – पांवड़े बिछाये प्रस्तुत है यह आयोजन. तो चलें इस बार पुस्तक मेला इस निश्चय के साथ कि नववर्ष की शरुआत अपनी पसंदीदा पुस्तकों से करेंगे और उपहार में पुस्तकें देने की परंपरा को और भी सुदृढ़ कर पुस्तक पठन - पाठन की संस्कृति विकसित करने में अपना भी योगदान देंगे.
लगभग एक वर्ष से अधिक लंबे वनवास से वापसी के बाद मुख्यधारा से जुड़ने के अवसर को enjoy करने के लिए मेरे लिए तो यह आयोजन काफी महत्वपूर्ण था, मगर अपने बारे में बात अपनी अगली किसी पोस्ट में. अभी तो बस पुस्तक मेले का ही लुत्फ़ उठाएं.
11 comments:
शायद आज या कल जाना हो।
aise mele to lagte hi rahne chahiye humesha...
Bittu,
Great, tumhara mukhyadhara mein wapas ane ki abhiwaykti hai kya yeh ?
Book fair ko enjoy karo.
saprem
Mausaji
बहुत सुंदर जानकारी जी, लेकिन हमारा जाना तो हो नही सकता, धन्यवाद
बहुत अधूरी रिपोर्ट -मात्र सूचनात्मक ! मगर यहाँ आने जाने में समय तो लगभग उतना ही लगा -हर कम मन और समर्पण से किया जाय तो कितना सुन्दर हो !
हां अभी रांची में भी नेशनल बुक फेयर लगा खूब सारी किताबें खरीदीं....यही तो फायदा है अच्छी -अच्छी किताबें खरीदने को मिल जाती हैं...
पुस्तक मेले सदैव से ही आकर्षित रहे हैं मुझे। मेरे पास ज्यादातर पुस्तकें इन पुस्तक-मेलों से ही खरीदी हुई हैं।
आभार इस जानकारी का।
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