Thursday, October 20, 2011

जयपुर की शान - राजमंदिर सिनेमा




पिछले दिनों काफी भागम-भाग के बीच रंग और रण की भूमि राजस्थान के जयपुर जाने की अपनी पुरानी इच्छा को साकार करने का मौका मिला. इस संपूर्ण यात्रा पर एक विस्तृत पोस्ट जल्द ही लाने का प्रयास करूँगा, मगर आज चर्चा करूँगा जयपुर की शान और पहचान में से एक ' राजमंदिर सिनेमा ' की. 

यहाँ रिलीज पहली फिल्म थी 'चरस'
भगवान दास रोड पर स्थित 1976 में निर्मित राजमंदिर सिनेमा ' एशिया का गौरव ' भी कहलाता है. आर्किटेक्ट  
W. M. Naamjoshi द्वारा Art Moderne शैली में निर्मित यह सिनेमा हॉल अपनी सुरुचिपूर्ण आंतरिक साज - सज्जा के लिए विश्वप्रसिद्ध है और पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र भी.



सिनेमा सहित लगभग हर क्षेत्र की प्रतिष्ठित हस्तियाँ इस छविगृह में फिल्म देखने का आनंद उठा चुकी हैं. सिनेमा देखने को भी एक अनुभव बना देने वाले इस छविगृह के संबंध में कुछ प्रमुख हस्तियों के विचार, जो वहां सहेजे हुए हैं - 

" It is indeed the Proud of India, and we are Proud of it." - B. R. Chopra
" I wish other exhibitors of India learn from Rajmandir how to exhibit a Film." - Raj Kapoor
"... Undoubtedly the Best Theatre in India." - Yash Chopra 
" What a Wonderful Experience ! "- Amitabh Bacchan 
" दर्शनीय "   - श्री अटल बिहारी वाजपेई 



इसे अपना सौभाग्य ही मानूँगा कि इतने व्यस्त कार्यक्रम में भी यहाँ फिल्म देखने का समय निकाल सका, भले इसके लिए ' रास्कल्स ' से ही निपटना पड़ा, मगर कई बार अच्छे सिनेमा हॉल भी फिल्मों को झेले जाने से बचा ले जाते हैं.


राजमंदिर में फिल्म देखना वाकई अपने-आप में एक अनुभव है, और निश्चित रूप से यहाँ आने पर आपको भी इस अवसर से चूकना नहीं चाहिए.


मैं तो यही कहूँगा कि " जयपुर आये और राजमंदिर में फिल्म न देखे, तो क्या खाक जयपुर आये !!! "

26 comments:

Rahul Singh said...

राजमंदिर में फिल्‍म 'कर्ज' देखने की स्‍मृति मेरे मन में आज भी ताजी है.

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति!
--
यहाँ पर ब्रॉडबैंड की कोई केबिल खराब हो गई है इसलिए नेट की स्पीड बहत स्लो है।
बैंगलौर से केबिल लेकर तकनीनिशियन आयेंगे तभी नेट सही चलेगा।
तब तक जितने ब्लॉग खुलेंगे उन पर तो धीरे-धीरे जाऊँगा ही!

www.navincchaturvedi.blogspot.com said...

जब आपने इतनी तारीफ़ की है तो एक बार हमारा भी इसे देखने को मन हो आया है

रविकर said...

खूबसूरत प्रस्तुति |

त्योहारों की नई श्रृंखला |
मस्ती हो खुब दीप जलें |
धनतेरस-आरोग्य- द्वितीया
दीप जलाने चले चलें ||

बहुत बहुत बधाई ||

अजित गुप्ता का कोना said...

राजमंदिर वाकयी बेहद खूबसूरत है। उदयपुर में भी पीवीआर सिनेमा चालू हुआ है। बेहद खूबसूरत है। परसों हमें भी लगा कि दोबारा पीवीआर चलना चाहिए तो जा पहुंचे लेकिन पता लगा कि रासकल्‍स चल रही है तो झेल ली उसे भी आपकी तरह ही।

अभिषेक मिश्र said...

@ राहुल जी,
उस समय क़र्ज़ का क्रेज तो कुछ और ही रहा होगा !

अभिषेक मिश्र said...

धन्यवाद रूपचन्द्र जी,
उम्मीद है, आपकी नेट की प्रौब्लम जल्द सॉल्व हो जाये.

अभिषेक मिश्र said...

@ नवीन जी,
आपको जब भी मौका मिले राजमंदिर जरुर जायें, विश्वास है निराश नहीं होंगे. :-)

अभिषेक मिश्र said...

धन्यवाद रविकर जी.

अभिषेक मिश्र said...

अजित जी,
इसे 'रास्कल्स' की खुशनसीबी ही कहेंगे. देखूं शायद मुझे भी उदयपुर के पीवीआर में कोई अच्छी फिल्म देखने का मौका मिल ही जाये. :-)

अजित गुप्ता का कोना said...

उदयपुर में आपका स्‍वागत है।

Subhashis Das. said...

bahut hi sundar, jaipur mein mera yah theatre miss ho gaya tha but tum ne puri picure hio dikh di.

anshumala said...

हाय हमारा जयपुर जाना तो खाक ही हो गया !!!

हा उसके सामने से तो दो बार गुजरे पर अन्दर जाने का बिलकुल भी समय नहीं था | कई जगह पढ़ा था इसके बारे में और सोचती थी की आखिर इस सिनेमा हॉल में ऐसा भी क्या है की उसका नाम कई पर्यटन लिस्ट में है | पर अफसोस की हम नहीं जा सके |

अभिषेक मिश्र said...

:-) अंशुमाला जी,
बाहर से तो मुझे भी कुछ ऐसा ही लग रहा था, मगर अन्दर जाने पर ही पता चलता है कि इसमें ऐसा क्या है ! फिल्म से ज्यादा वेटिंग हॉल में ही मन रम जाता है.
अफ़सोस कि आपको ई - मेल से जवाब नहीं दे पा रहा.

मनोज कुमार said...

अरे हां भाई याद दिलाया!!

इसके बारे में बहुत सुन रखा था,आज आपके द्वारा प्रस्तुत चित्रों से कुछ झलकियां तो देखा ही। अब तो जयपुर जाने की प्रोग्राम भी बनाने का मन बन गया है।

अनुपमा पाठक said...

सुन्दर प्रस्तुति!

दीपक बाबा said...

कभी सोभाग्य मिला तो जरूर जायेंगे....

वैसे बचपन से ये सोभाग्य मिला नहीं.

Amrita Tanmay said...

बढ़िया जानकारी दी है..

दर्शन कौर धनोय said...

याद रखेगे जी जयपुर यात्रा के दोरान ...

अशोक कुमार शुक्ला said...

मेरा छोटा भाई संजय जो साफ्टवेयर इंजीनियर है सपरिवार वहीं रहता है। संजय अक्सर लखनऊ आ जाता है परन्तु यह शिकायत करना नहीं भूलता कि दद्दा जी (वह मुझे इसी नाम से संबोधित करता है ) को तो जयपुर आने की फुरसत ही नहीं मिलती।
अब तो जयपुर जाने की प्रोग्राम भी बनाने का मन बन गया है।
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐं!!

अभिषेक मिश्र said...

अशोक जी,
यदि यह पोस्ट आपके जयपुर जाने का एक बहाना बन पति है तो मैं इसे इसकी उपलब्धि ही मानूंगा.

Vineeta Yashsavi said...

Mai to jarur hi jane wali hu ab yaha...

अभिषेक मिश्र said...

विनीता जी, जरुर जाइएगा. निराश नहीं होंगीं वहां जाकर. बस कोई अच्छी सी मूवी भी लगी हो तो 'सोने पे सुहागा'. :-)

Arvind Mishra said...

अगली बार पक्का ..विस्तृत रिपोर्ट प्रतीक्षित है !

रचना दीक्षित said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति
आपको व आपके परिवार को दीपावली कि ढेरों शुभकामनायें

अभिषेक मिश्र said...

अरविन्द जी,
अगली बार इस सिनेमा हॉल से आपकी फिल्म समीक्षा की भी प्रतीक्षा रहेगी.

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