Monday, February 10, 2014

नर हो न निराश करो मन को...


वर्षों पहले जब बनारस में था तो कभी-कभी मौर्निंग वाक के चुनिन्दा दिनों में एक-आध चक्कर सामने ही रहे जिम का भी लगा लेता था. एक दिन किसी लड़के को देखा अपने दोस्तों से कह रहा था- "मेरी तो जिंदगी ही बर्बाद हो गई..." ऐसा वो अपनी कम हाईट को लेकर कह रहा था क्योंकि उसके दोस्तों की नजर में उसकी मेहनत को उसकी हाईट का साथ मिला होता तो शायद उसकी पर्सनाल्टी और भी बेहतर होती. इसे सुन वहीँ खड़े एक इंस्ट्रक्टर ने हस्तक्षेप कर अपना उदाहरण देते हुए कहा कि क्या उनकी खुद की जिंदगी बर्बाद है ! नौकरी है, परिवार है, स्पोर्ट्स में भी पार्टिसिपेट करते हैं, हाईट को लेकर रोते रहते तो क्या यहाँ पहुँच पाते ! उस लड़के ने समझा या नहीं पता नहीं, मगर हाल ही एक न्यूज पढ़ ये घटना फिर याद आ गई. नई दिल्ली के एक BPO कर्मी ने हाईट और सर के बाल कम होने के कारण डिप्रेशन में आकर ख़ुदकुशी कर ली. स्कूल के दिनों में ही उसने सुसाइड का निर्णय ले लिया था और 6 महीने पहले डेट भी तय कर ली थी. सुसाइड नोट में यह भी लिखा पाया गया कि एक युवती को वो प्यार भी करता था, मगर अपनी हीनता के कारण पीछे हट गया.
वास्तविकता में हममें से कोई भी परफेक्ट नहीं होता. शारीरिक रूप से भी हममें से कई लोगों को कुछ समस्याएं होती ही हैं. मगर कहते हैं न कि ईश्वर अगर हमसे कुछ छीन लेता है तो कुछ अतिरिक्त दे भी देता है. तो जरुरत है कि अपनी उस मजबूती को पहचानें और सफलता की ओर आगे बढ़ें. सफलता से बड़ा कोई
आभूषण, कोई पहचान होती भी नहीं जो कई कमजोरियों को छुपा देती है. कई प्रसिद्ध और हमारे आस-पास भी ऐसे सफल उदाहरणों की कोई कमी नहीं. मगर ऐसे व्यक्तियों को प्रोत्साहित करने में परिवार और मित्रों को भी सकारात्मक भूमिका निभानी चाहिए. अपनी कमजोरियों से हतोत्साहित या निराश होने के बजाये अपनी क्षमताओं को पहचान सकारात्मक सोच के साथ सफलता का प्रयास करना ही जिंदगी है- आखिर "नर हो न निराश करो मन को..."

3 comments:

Vaanbhatt said...

सार्थक सन्देश...

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति...!
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आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल मंगलवार (11-02-2014) को "साथी व्यस्त हैं तो क्या हुआ?" (चर्चा मंच-1520) पर भी होगी!
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सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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बसंतपंचमी की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

kavita verma said...

sandesh deti vicharneey rachna ...

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