Wednesday, August 12, 2020

भारतीय एकता के सूत्रधार: राम और कृष्ण के चरित्र


डॉ. राम मनोहर लोहिया ने लिखा था- "...कृष्‍ण बहुत अधिक हिंदुस्‍तान के साथ जुड़ा हुआ है। हिंदुस्‍तान के ज्‍यादातर देव और अवतार अपनी मिट्टी के साथ सने हुए हैं। मिट्टी से अलग करने पर वे बहुत कुछ निष्‍प्राण हो जाते हैं। त्रेता का राम हिंदुस्‍तान की उत्‍तर-दक्षिण एकता का देव है। द्वापर का कृष्‍ण देश की पूर्व-पश्चिम एकता का देव है। राम उत्‍तर-दक्षिण और कृष्‍ण पूर्व-पश्चिम धुरी पर घूमे। कभी-कभी तो ऐसा लगता कि देश को उत्‍तर-दक्षिण और पूर्व-‍पश्चिम एक करना ही राम और कृष्‍ण का धर्म था। यों सभी धर्मों की उत्‍पत्ति राजनीति से है, बिखरे हुए स्‍वजनों को इकठ्ठा करना, कलह मिटाना, सुलह कराना और हो सके तो अपनी और सबकी सीमा को ढहाना। साथ-साथ जीवन को कुछ ऊंचा उठाना, सदाचार की दृष्टि से और आत्‍म-चिंतन की भी।

देश की एकता और समाज के शुद्धि संबंधी कारणों और आवश्‍यकताओं से संसार के सभी महान धर्मों की उत्‍पत्ति हुई है। अलबत्‍ता, धर्म इन आवश्‍यकताओं से ऊपर उठकर, मनुष्‍य को पूर्ण करने की भी चेष्‍टा करता है। किंतु भारतीय धर्म इन आवश्यकताओं से जितना ओत-प्रोत है, उतना और कोई धर्म नहीं। कभी-कभी तो ऐसा लगता है कि राम और कृष्‍ण के किस्‍से तो मनगढ़ंत गाथाएं हैं, जिनमें एक अद्वितीय उद्देश्‍य हासिल करना था, इतने बड़े देश के उत्‍तर-दक्षिण और पूर्व-पश्चिम को एक रूप में बांधना था। इस विलक्षण उद्देश्‍य के अनुरूप ही ये विलक्षण किस्‍से बने।..."

धर्म के सही स्वरूप को समझने की कोशिश करते हुए अपने-अपने निर्धारित कर्मों को करते अपने परिवेश को बेहतर बनाने का प्रयास करें, यही श्री कृष्ण के प्रति सच्ची आस्था होगी...

शुभ जन्माष्टमी

2 comments:

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर प्रस्तुति।
श्री कृष्ण जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।

सुशील कुमार जोशी said...

जन्माष्टमी की शुभकामनाएँ

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