Wednesday, October 1, 2008

युवा सत्याग्रही - मोहनदास करमचंद गाँधी


युवा सत्याग्रही

2 अक्टूबर- महात्मा गाँधी का जन्मदिन। सारे हिंदुस्तान के लिए यह गर्व की बात है की गांधीजी के जन्मदिन को स. रा. संघ द्वारा अन्तराष्ट्रीय अहिंसा दिवस के रूप में मनाने का निर्णय लिया गया है। मगर गाँधी जी की जो छवि हमारे दिलो-दिमाग में बसा दी गई है, वह है एक 80 साल के बुजुर्ग की जो हाथ में लाठी लिए तेज क़दमों से चल रहा है। उनकी यह छवि चाहे जितनी सम्माननीय लगे मगर न तो गांधीजी के व्यक्तित्व के साथ पूर्णतः न्याय कर पाती है और न ही ज्यादातर युवाओं को अपनी ओर आकर्षित .मगर गांधीजी की एक और भी छवि है, जो जाने-अनजाने भुला दी गई है- युवा सत्याग्रही की।

आज याद करें उस युवा बैरिस्टर गाँधी को जिसने उपनिवेशवाद के विरुद्ध विदेशी धरती पर हल्ला बोला था। अपने अपमान पर तिलमिलाया था और व्यक्तिगत आक्रोश को एक पुरे राष्ट्र के विरोध की गूंज बना दिया था। और इस साध्य के लिए उसने कभी भी अपने साधनों से समझौता नही किया.

आइये श्रद्धान्जली दें उस जुझारू व्यक्तित्व को जिसके विचार आज भी संपूर्ण विश्व को अशांति के बीच शान्ति का मार्ग दिखाते हैं।


9 comments:

चण्डीदत्त शुक्ल-8824696345 said...

आपका प्रयास सचमुच सराहनीय है और सामयिक भी...आपका व्यक्तिगत आभार भी...
आपने मेरी पोस्ट पर टिप्पणी की, इसके लिए धन्यवाद...आप जैसे दोस्तों का समर्थन ही तो कुछ करने, पढ़ने और जीने का संबल देता है...
धन्यवाद

चण्डीदत्त शुक्ल
दिल्ली
www.chauraha1.blogspot.com
chandiduttshukla@gmail.com

roushan said...

महात्मा गाँधी और उनके विचारों के बारे में लोगो में अनेक भ्रांतियां हैं अगर आप उनकी विचार धारा के कुछ पहलुओं पर प्रकाश डाल सकें तो हम आभारी होंगे

प्रदीप मानोरिया said...

श्रीमान आपका मेरे ब्लॉग पर पधारना मेरा सौभाग्य है और उस पर कुछ पसंद आ जाना आपका सौभाग्य है
हमारे इस सौभाग्य के सिलसिले को कायम रखे दर्शन देते रहे
आपका सार्थक आलेख पढा अच्छा लगा यह मेरा सौभाग्य है

आत्महंता आस्था said...

Bahut achchhi prastuti. padharen http://atmhanta.blogspot.com

shama said...

Aapse poorn sehmat hun. Gandgjika kaha har wakya ek suvichar tha. Aanewali sadiyan gawah rahengee ke unkee kahi har baat, chahe wo paryawaranke baareme ho, shikshake baareme ho ya gram swatantr ke bareme ho , hamesha mayne rakhegi.
shubhkamnayen!

BrijmohanShrivastava said...

तस्वीरें तो बहुत देखी मगर ब्रध्धावस्था की ., आपने जो तस्बीर पेस्ट की है वाकई नायब है -मुझे अफ़सोस है की आपके ब्लॉग पर बहुत लेट पहुंचायदि आप गांधीजी के विचारों की एक श्रंखला पेश करे तो काफी उपयोगी होगा वैसे पुस्तके बहुत हैं मगर आज की युवा पीढी का पढने की और रुझान कम है -इंटरनेट की तरफ़ ज़्यादा /तो क्या होगा की जब आप श्रृंख्ला शुरू करेंगे तो तो जो युवक चुटकुले या अन्य खुराफातों को पढने में अपना समय गुजरते है उन्हें कुछ अच्छा और मार्गदर्शक पढने को मिलेगा तो =आप उनका उपकार ही करेंगे और मेरी नजर में यह एक बह्त पुन्य का कार्य होगा

प्रदीप मानोरिया said...

सार्थक आलेख के लिए बहुत बहुत शुक्रिया आपके मेरे ब्लॉग पर पधारने का धन्यबाद कृपया पुन: पधारे मेरी नई रचना मुंबई उनके बाप की पढने हेतु सादर आमंत्रण

shelley said...

bahut achchha laga. sahi me adhiktar logon k man me gandhi ki budhape wali chhawi hi chhai rahti hai. prayas achchha hai aapka.

प्रदीप मानोरिया said...

गांधी जी के बारे में बहुत सुंदर जानकारी वाला आलेख है अभिषेक जी धन्यबाद

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