बनारस की रामलीला
वाराणसी- भारत की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक राजधानी. भोलेनाथ की इस नगरी की हर बात अनूठी है और अनूठी है यहाँ की रामलीला भी. विजयादशमी के अवसर पर यूँ तो पुरा शहर ही रामलीला का मंच बन जाता है, मगर रामनगर की रामलीला की बात ही कुछ और है. आम लोगों के दिलों में रस-बसे काशी नरेश के सान्निध्य में आयोजित होने वाली यह रामलीला 1, 2 या 10 नहीं बल्कि पुरे एक महीने तक चलती है।अनंत चतुर्दशी से आरम्भ होने वाली इस लीला में मुख्य किरदार बाल कलाकार ही निभाते हैं। अभ्यास आरम्भ होने से लेकर लीला समाप्ति तक सारे कलाकार पूर्ण अनुशासन और वैष्णव विधियों का पालन करते हैं. पारंपरिक स्वरुप को बरक़रार रखते हुए लीला के मंचन के दौरान आधुनिक संचार उपकरणों (माइक, स्पीकर आदि) तथा बिजली के बल्बों का प्रयोग नही किया जाता. दर्शकों में उपस्थित अनगिनत संत जो 'रामायणी' कहलाते हैं तथा अन्य भक्त भी अपने साथ 'रामचरितमानस' की प्रति साथ रखते हैं, और पात्रों की भंगिमा का अनुमान लगा उनके साथ संवाद दोहराते हैं.
श्रद्धा और पारम्परिकता का अद्भुत मेल और हमारी साझी धरोहर है यह 'रामलीला'. आइये आप भी इस विजयादशमी को शिव की नगरी में राम के स्वरुप के दर्शन करने.
14 comments:
अच्छी जानकारी मिली. साधुवाद.
bahut achhi jankari .......
Sundertam....
क्या बात है
साधुवाद.
jarur aate par kya karn wqt nahi hai..rochak jankari.
सुंदर आलेख रोचक जानकारी आपके मेरे ब्लॉग पर पधार कर उत्साह वर्धन के लिए धन्यबाद. पुन: नई रचना ब्लॉग पर हाज़िर आपके मार्ग दर्शन के लिए कृपया पधारे और मार्गदर्शन दें
ऐसे ही प्रयत्नों से देश की सांस्कृतिक धरोहर की सुरक्षा होती है. जानकारी देने के लिए शुर्क्रिया
bahut hi achhi jankari di hai apne banaras ki ramleela ke baare mai. lagta hai ab to ana hi prega......
isi tarah achhi jankariya dete rahe.
अच्छी जानकारी मिली ,धन्यबाद
रामलीला का अपना अलग ही लुत्फ होता है लेकिन लम्बे समय से देखने का मौका नही मिला, लेख पढकर यादें ......!
आपने बहुत अच्छा विवरण दिया लेकिन कुछ फोटो भी डाल देते तो मज़ा और बढ़ जाता [ यथासंभव ]
अपनी पोस्ट में आपने सबको आने का और दर्शन का निमंत्रण भी दिया है .यह आपकी पोस्ट से सम्भव हो जाता
रामनगर के रामलीला का क्या कहना -मैंने पिछली बार यह अनिर्वचनीय आनद उठाया था ! आपने ब्लॉग पर इसे लिया -साधुवाद
दीपावली की हार्दिक शुभ कामनाएं /दीवाली आपको मंगलमय हो /सुख समृद्धि की बृद्धि हो /आपके साहित्य सृजन को देश -विदेश के साहित्यकारों द्वारा सराहा जावे /आप साहित्य सृजन की तपश्चर्या कर सरस्वत्याराधन करते रहें /आपकी रचनाएं जन मानस के अन्तकरण को झंकृत करती रहे और उनके अंतर्मन में स्थान बनाती रहें /आपकी काव्य संरचना बहुजन हिताय ,बहुजन सुखाय हो ,लोक कल्याण व राष्ट्रहित में हो यही प्रार्थना में ईश्वर से करता हूँ ""पढने लायक कुछ लिख जाओ या लिखने लायक कुछ कर जाओ ""
अच्छी जानकारी दी है. इसी तरह हमारी सांस्कृतिक धरोहर सुरक्षित रहेगी. सस्नेह.
comment k liye dhanyavaad. achhi prastuti hai.
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