Tuesday, January 20, 2009

गंगा पर रेतीला संसार



गंगा पर रेतीला संसार

कलाकार अपनी रचनाशीलता की अभिव्यक्ति के लिए कोई--कोई मंच ढूंढ़ ही लेते हैंपानी की कमी के कारण गंगा के बीच उभर आए रेत के टीलों को ही इसबार अपनी अभिव्यक्ति का मध्यम बना लिया गया, और सैकड़ों कलाकारों, स्कूली बच्चों और आम लोगों ने अपनी कल्पनाशीलता का साक्षी बनाया माँ गंगा कोअवसर था राम छात्पार कला न्यास की ओर से अपने गुरु के जन्मदिन 19 जनवरी को 'रेत में आकृति की खोज' विषय पर आयोजित कला प्रतियोगिता कावार्षिक आयोजन का रूप ले चुका यह कार्यक्रम काशी की उत्सवप्रियता और रचनाशीलता को एक नया आयाम देता है, और स्थानीय कलाकारों और नागरिकों को अपनी कला की अभिव्यक्ति का अवसर भीआशा है यह आयोजन अपनी निरंतरता बनते हुए अन्तराष्ट्रीय स्वरुप लेगाइस अभिनव सोच को क्रियान्वित करने वाले जज्बे को सलाम

11 comments:

निर्मला कपिला said...

बहुत बडिया जानकारी है धन्यवाद्

Vineeta Yashsavi said...

vaki mai kalakar apni kala ka pradarshan kahi bhi kar sakta hai.

bahut achha.

रंजू भाटिया said...

कलाकार अपनी पहचान करवा ही देगा ...बढ़िया लगा यह

राज भाटिय़ा said...

बहुत सुंदर कला, लेकिन साथ ही साथ गंगा के पानी का भी दुख.
धन्यवाद

P.N. Subramanian said...

सुंदर जानकारी इस प्रतियोगिता की निरंतरता बनी रहे. पूरी के समुद्र तट पर भी रोजाना होता है परंतु वह शायद एक ही व्यक्ति की कृति रहती है. आभार.
http://mallar.wordpress.com

Shiv said...

बहुत सुंदर!

जब भी पुरी जाता हूँ तो समुद्र तट पर इस तरह की कलाकारी खूब देखता हूँ. खासकर सुदर्शन जी के बनाये गए तमाम स्कल्पटर.

नीरज मुसाफ़िर said...

अभिषेक जी नमस्कार
आजकल तो इलाहाबाद मे माघ मेला चल रहा है ना...
जरा उसके भी दर्शन करा दो. धन्यवाद
ऊपर चित्र मे शायद गंगा जल भी दिख रहा है.
अब तो गंगाजल को भी ढूंढना पडता है.

Science Bloggers Association said...

बहुत सुन्‍दर, कहते हैं कला अपनी अभिव्‍यक्ति का माध्‍यम खोज ही लेती है।

BrijmohanShrivastava said...

बहुत अच्छा लगा

तरूश्री शर्मा said...

नदी किनारे पसरी मिट्टी कब गुड़िया बन जाए,
पर्वत का पत्थर कब मंदिर में पूजा जाए...
जहां भी छिपी हुई कला है,वो अवसर कब खोती है,
जैसा चाहें वो हो जाए किसकी किस्मत होती है।

कला की अभिव्यक्ति के इस माध्यम की बात पढ़कर अपनी कविता का यह छंद याद आ गया। रेत पर स्कल्पचर काफी आकर्षित करते हैं। बढ़िया जानकारी दी आपने।

संगीता पुरी said...

अच्‍छी जानकारी दी है आपने....अच्‍छी लगती है ये कलाकारी....आभार।

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