Friday, January 23, 2009

विद्रोही सुभाष की दुविधा



अपने विद्रोही स्वाभाव से ब्रिटिश साम्राज्य को झकझोर देने वाले सुभाष चन्द्र बोस का मानना था कि किसी भी युग में युवाओं कि बुनियादी सोच समान होती है। उन्हें अंजान राहें ज्यादा लुभाती हैं, जबकि समाज उन्हें अपनी आजमाई हुई लकीर की ओर ही खींचना चाहता है।
असमंजस कि यह स्थिति सुभाष जी कि तरुणाई में भी देखने को मिलती है। लन्दन में ICS के प्रशिक्षण के दौरान ही देशसेवा में आने का उन्होंने निर्णय ले लिया था, किंतु यह किस रूप में हो इसे लेकर वह दुविधा में थे। तभी उन्होंने बंगाल के वरिस्थ नेता देशबंधु चित्तरंजन दास को पत्र लिखा कि - "नौकरी करने की उनकी इच्छा बिल्कुल नहीं है, और वे स्वतंत्रता संग्राम में किसी भी रूप में भागीदारी के इच्छुक हैं।" कोई प्रत्युत्तर न पाने और अपनी संभावित भूमिका कुछ और स्पष्ट होने पर उन्होंने पुनः देशबंधु से पत्रकारिता आदि से जुड़े क्षेत्र में अपनी सेवाएं देने की पेशकश की, और स्वीकृति मिलने पर ICS से इस्तीफा देकर भारत लौट आए।
नेताजी के जीवन से आज की पीढी यदि यह संदेश भी ले सके कि कोई जन्मजात महान नहीं होता, बल्कि लक्ष्य स्पष्ट हो तो राहें ख़ुद निर्धारित की जा सकती हैं; तो यह सुभाष जी के बलिदान के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि होगी।
नेताजी की कुछ पसंदीदा पंक्तियाँ दोहराते हुए-
कदम-कदम बढाये जा, खुशी के गीत गए जा;
ये जिंदगी है कौम की, तूँ कौम पर लुटाये जा।

8 comments:

निर्मला कपिला said...

bahut sunder aalekh hai jab aaj ke samay me koi aise lekh likhta hai to man me ek aashaa janam leti hai k bhaarat me abhi desh paremi aur veeron ka smman karne vale log maujood hain nishchit hi bharat fir se bulandiyaan chuyegaa

Vineeta Yashsavi said...

meri taraf se bhi NETAJI ko shradhanjali.....

simit shabdo mai apne NETAJI ka pura vyaktitva samne la diya.

डॉ .अनुराग said...

वाकई उस महान व्यक्तित्व को मेरा नमन !

नीरज मुसाफ़िर said...

अरे हाँ भाई,
आज तो २३ तारीख है. नेताजी को मेरी भी श्रद्धांजली.

Alpana Verma said...

bahut hi achchey samay par unhen yaaad kiya--aaj 23 ko un ki jayanti hai--aap sabhi ko badhayee.

Shubhali said...

Aaj bhi log swatantra senaniyon ko yaad karte hain to achcha lagta hai ... aaj ke zamane mein hume aap jaise logo ki zaroorat hai ...

रंजना said...

Sahi kaha......kaash aaj ke hamare netaon me ek aadh bhi shubhaash baboo jaise hote...

@k$h@y said...

true :-) bohot acha lekh likha hain aapne ! kinda Inspiring :-) vakai jeevan hamare faislo ki neev par hi tika hota hain :-)

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