Saturday, February 21, 2009

मैं भी चला ब्लौगर्स मीट


     लवली जी द्वारा प्राप्त 'ब्लौगर्स मीट' के आमंत्रण और इसी बहाने अपने गृहराज्य झाड़खंड की राजधानी पुनः घूम आने का प्रलोभन छोड़ न सका और लगे हाथों  इस कार्यक्रम के आयोजक शैलेश भारतवासी जी को सूचित कर स्वयं को 'आधिकारिक स्वामंत्रित' भी करा लिया. किन्तु इस  मीट में शामिल होने के लिए बड़े खेद के साथ अपने अजीज ब्लॉग मित्र नीरज मुसाफिर जी के हरिद्वार चलने के आमंत्रण को अस्वीकार भी करना पड़ा. आशा है ब्लौगिंग का सफर हमें मुसाफिरी का और भी अवसर देगा.
     अब जब रवानगी में चंद ही घंटे शेष हैं एक दुविधा में हूँ. ब्लॉग एक आभासी दुनिया है, जहाँ हर ब्लौगर के लिए हमारे दिलों में एक काल्पनिक छवि बसी हुई है. यह थोडी रूमानी भी है, थोडी भ्रामक भी; किंतु है सुखद. ऐसे आयोजन आभासी दुनिया से एक मजबूत संबंधों की शुरुआत में सहायक होते हैं. किंतु क्या यह उस आकर्षक भ्रम का अंत नहीं ! काल्पनिकता और वास्तविकता के इस द्वंद के उत्तर की तलाश करता हूँ 22 फरवरी को रांची में....

14 comments:

Vineeta Yashsavi said...

Bahut Bahut shubhakamnaye apko...

waha pe jo bhi hohe us se humko bhi ru-b-ru krwaiyega...

P.N. Subramanian said...

सोचने वाली बात है. मूर्त रूप में जब लोगों से मिल लेंगे उसके बाद क्या फ़िर उन्हीं लोगों से सम्बन्ध वही एहसास ला पायेगा. हम तो शहर के अन्दर रहने वाले ब्लागरों को भी ढूँढ निकालना नहीं चाहते. सम्भव है की आस पड़ोस में भी दूसरा रहता हो. पर यही सुखद लगता है. अपनी अपनी बात भी है.

उन्मुक्त said...

बचपन में एक कहानी सुनी थी। दो गायें चर रहीं थी। उनमें से एक ने फिल्म की रील खा ली। दूसरी ने पूछा,
'कैसी सी थी।'

पहली ने जवाब दिया,
'किताब अच्छी थी।'

इसका कारण भी है, जब पुस्तक में लिखा होता है कि सुन्दर दृश्य है तो हम उस चित्र की कल्पना करते हैं जो हमारे हिसाब से सुन्दर हो पर फिल्म में तो निर्देशक के हिसाब से सुन्दर चित्र देखते हैं जो शायद हमारे हिसाब से न सुन्दर हो।

आशा करता हूं कि सारे चिट्ठाकार आपको वैसे ही या उससे अच्छे लगेंगे जैसा कि आप कल्पना करते हैं।

नीरज गोस्वामी said...

आपको अग्रिम शुभ कामनाएं...आप का भ्रम नहीं टूटेगा इसका यकीन हम अभी से दिला देते हैं...बल्कि आप कुछ से मिल कर चौंक भी सकते हैं क्यूँ की शब्दों के माध्यम से हमारी जिनसे पहचान होती है वो व्यग्तिरूप से सामने आने पर हमारी बनाई छवि से कई गुना बेहतर होते हैं...आप अपने स्मरण लिखियेगा और वहां के बारे में सूचित जरूर कीजिएगा...
हमारी अगर नमस्कार भी सब तक पहुँचा दें तो क्या बात है..

नीरज

नीरज मुसाफ़िर said...

कोई बात नहीं अभिषेक जी,
ब्लोगर मीट वो भी अपने राज्य की राजधानी में; बार बार ऐसा मौका नहीं मिलता. हरिद्वार तो फिर कभी भी आ सकते हो. ओके. शुभ यात्रा.

राज भाटिय़ा said...

अजी जाओ ओर शुभ शुभ जाओ, फ़िर लोट कर बताना केसी लगी आप को यह यात्रा,ोर मित्रो के बारे भी बताना,
धन्यवाद

Shamikh Faraz said...

bahut khub

हरकीरत ' हीर' said...

Bahut Bahut shubhakamnaye apko...

pr aapne sach kha hamne man me jo ek kalpnik chavi bnayi hai is milan se sayad wo toot jaye...!!

प्रदीप मानोरिया said...

आशा है आपकी यात्रा सफल रही होगी बहुत बधाई
मेरे ब्लॉग पर पधार कर "सुख" की पड़ताल को देखें पढ़ें आपका स्वागत है
http://manoria.blogspot.com

Arvind Mishra said...

गर लवली आती हैं तो उन्हें मेरी याद दिलायियेगा और यह भी बताईयेगा की आप मुझसे कैसे परिचित हैं ! और ब्लागजगत में उनकी वापसी कब होगी लगे हाथ यह भी पूँछ लीजियेगा ! आपने मुझसे कहाया ही नहीं चोरी चुपके कार्यक्रम बना लिया नहीं तो हम भी चलते ! बहरहाल आपकी ब्लॉग पोस्ट्स से वहाँ की जानकारी मिलेगी ही !

hem pandey said...

ब्लोगर्स की जान पहचान ब्लॉग तक ही रहनी चाहिए. इस मीट के माध्यम से यदि आपके कोई व्यक्तिगत सम्बन्ध बनते हैं तो वे व्यक्तिगत सम्बन्ध की श्रेणी में आने चाहिए. ब्लॉग रिश्तों और व्यक्तिगत रिश्तों में एक दूरी रहनी चाहिए. इस सम्बन्ध में मेरे विचार बहुत कुछ पी. एन. सुब्रमनियन जी के विचारों से मिलते हैं.

Arvind Gaurav said...

jaeye aur wapas aakar hamen batana na bhule...ham intzaar karenge.

रंजना said...

Baap re padhkar to dar gayi....chaliye apne anubhav bataiye..waise bhram tootna hamesha hi sahi hota hai.

P.N. Subramanian said...

हमें यह बताईये की यह पोस्ट आज की सूची में कैसे आ पाया. आभार.

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