पिछली पोस्ट में मैंने आयोजन की भूमिका से जुड़े पहलुओं पर चर्चा की थी। इस पोस्ट में आयोजन की मुख्य संरचना पर विचार किया जायेगा.
(i) कार्यक्रम का उद्देश्य- यह बिलकुल स्पष्ट होना चाहिए की कार्यक्रम 'ब्लौगर्स मीट' है या 'ब्लौगिंग वर्कशॉप'. ब्लौगर्स मीट - जहाँ समीर लाल जी और अरविन्द मिश्र जी जैसे ब्लौगर बैठे हों, वहां यदि आयोजकों ने "ब्लॉग कैसे बनाएं" पर लेक्चर दिला दिया तो हम गरीब ब्लौगरों पर क्या बीतेगी भला! यही दृश्य इसकी विपरीत परिदृश्य में भी हो सकता है।
(ii) वक्ताओं का चयन- ब्लौगिंग सिर्फ पत्रकारों का शगल नहीं। यहाँ साहित्यकार भी हैं, तो इतिहासकार और आध्यात्मिक चिन्तक भी। इसलिए वक्ता ऐसे चुने जायें जिनसे लगभग सभी वर्ग के ब्लौगर्स लाभ उठा सकें। और हाँ, इन वक्ताओं को ब्लौगिंग की बुनियादी समझ लाज़िमी होनी चाहिए; नहीं तो कहीं वो हम ब्लौगर्स को 'भुनगे' टाइप समझ ज्ञान बांटने का अतिरिक्त दबाव न ले लें!
(iii) ब्लौगर्स के वर्गीकरण से परहेज- कहीं कुछ सेलिब्रिटी ब्लौगर्स की चर्चा भी सुनी थी। एक टिप्पणीकार ने पूर्वी और पश्चिमी ब्लौगर्स जैसे शब्दों पर भी आपत्ति चाहे व्यंग्य में ही सही जताई थी। स्वाभाविक ही ब्लौगर्स को सेलिब्रिटी और आम ब्लौगर्स की श्रेणी में बांटने से परहेज किया जाना चाहिए; नहीं तो कहीं यहाँ भी वर्ग-संघर्ष न शुरू हो जाये! वैसे भी व्यक्तिगत रूप से मुझे नहीं लगता की ब्लौगर समुदाय अभी सभ्य समाज के इन उच्चतम आदर्शों तक पहुँच सका है!
(iv) कार्यक्रम की दिशा- जब अपना अमूल्य समय, साधन आदि व्यय कर कोई ब्लौगर ऐसे कार्यक्रम में शामिल होता है तो लाज़िमी है कि कार्यक्रम के अंत में उसे संतुष्टि का अहसास हो। और यह संतुष्टि तभी मिल सकेगी जबकि कार्यक्रम की कोई सार्थक पहल या उपलब्धि हो। मेरा मानना है कि - "मिल कर बैठें, और व्यर्थ की ही बात हो;
इससे बेहतर है, न ऐसी कोई मुलाकात हो।"
वैसे भी, "वाह-वाह" तो हम टिप्पणियों में कर ही देते हैं।
(v) उत्कृष्ट ब्लौगिंग को प्रोत्साहन- यह एक प्रतीकात्मक प्रयास ही होना चाहिए। किन्तु जब हिंदी ब्लौगर्स के स्तरीय लेखन और निश्चित चरित्र के अभाव की बात होती है, तो इस दिशा में अपेक्षयाकृत बेहतर प्रयास कर रहे ब्लौग्स की चर्चा या उसे पुरस्कृत करने का प्रयास नए ब्लौगर्स को प्रेरणा और मार्गदर्शन देने के काम आ सकता है।
(vi) वैकल्पिक मंच की सम्भावना- हम सभी ब्लौगर्स में जो एक चीज common है वह है 'सृजनात्मकता' और समाज के लिए योगदान की आकांक्षा। मुख्यधारा से कट चुके विषय आज ब्लौगिंग में ही जीवित हैं. ऐसे में एक वैकल्पिक वैचारिक और रचनात्मक समाज के निर्माण के माध्यम के रूप में भी ब्लौगिंग का विकास ऐसे आयोजनों का प्रमुख लक्ष्य होना चाहिए.
जैसा की राज जी ने जानना चाहा था, आयोजन का खर्च इसके स्वरुप के अनुसार परस्पर भागीदारी शुल्क या प्रायोजक की तलाश के माध्यम से पूरा करने का प्रयास किया जा सकता है। मगर बेहतर हो प्रायोजक या दानदाता का इसमें अपनी छवि विज्ञापित करने का माध्यम न बन जाएँ ऐसे अवसर.
मात्र एक 'ब्लौगर मीट' से यदि इतने विचार उभर कर आये हैं तो यह भी इस मीट की एक अन्य उपलब्धि है। आप सभी ने इन विचारों को साझा करने हेतु प्रोत्साहित किया, धन्यवाद।
(नोट:- एक समर्पित ब्लौगर इस विधा की धरोहर ही है. ऐसे में मैं नहीं समझता की ब्लौगिंग पर इन पोस्ट्स से मैंने अपने ब्लॉग के चरित्र से कोई छेड़खानी की हो. वैसे भी एक ब्लौगर के नाते ब्लौगिंग की बेहतरी में अपना अंशदान करना मेरी जिम्मेदारी भी बनती हमेरे प्रयास का मूल्यांकन आप टिप्पणीकारों व भविष्य के हाथों में है. )
12 comments:
आपने बहुत सुंदर तात्विक विवेचन किया है, बधाई स्वीकारें।
बहुत बढ़िया विवेचन अच्छे पॉइंट्स लिए हैं आपने ..कार्यक्रम की दिशा- सबसे अधिक जरुरी है
बहुत ही अच्छा विश्लेषण किया है ... उम्मीद है अगले ब्लागर मीट में इन सब बातों का ध्यान रखा जाए ।
बहुत ही सुन्दर तरीके से आपने ब्लोग्गर्स मीट के लिए एक फ्रेमवर्क प्रस्तुत किया है. हम सब का आभार. इंडी ब्लोग्गर्स के द्वारा भी कुछ ऐसे मीट्स प्रायोजित किये जा रहे हैं. हमें लगता है की यह अंग्रेजी में लिखने वालों के लिए हो रहा है. हमें भी निमंत्रण मिला है. वहां बात करने के लिए आपने सुन्दर talking पॉइंट्स तो बना ही दिया है. बहुत काम आएगी. पुनः आभार.
Aap bahut achhe points bata rahe hai...
अभिषेक यह आपका फर्स्ट हैण्ड अनुभव है -मुझे अभी तक तो किसी मीट में जने का सौभाग्य ही नहीं मिला !
Bade hi upyukt aur upyogi sujhaav diye hain aapne..
Sachmuch in baaton ka dhaayn rakha gaya to kisi bhi aayojan ki safalta nihsandeh hogi..
Vicharotejjak aalekh hetu bahut bahut aabhaar.
जानकारी के लिए आभार।
बिलकुल सही लिखा है अभिषेक जी
बढ़िया विवेचन!!!
अभिषेकजी,
मेरी प्रार्थना को स्वीकार कर, आपने अत्यधिक कष्ट उठा कर, रांची ब्लागर मीट का विस्तृत ब्यौरा देकर मुझे व्यक्तिगत रूप से उपकृत किया है। मेरी भावना मैं आपको, ई-मेल सन्देश में व्यक्त कर ही चुका हूं।
कोई आपसे सहमत हो या न हो और आज कोई माने या न माने, विश्वास कीजिएगा कि आपकी ये दोनों पोस्टें, देश में होने वाली ऐसी ब्लागर मीटों के आयोजन में सर्वाधिक सहायता उपलब्ध कराएगी।
आपने 'ब्ल्यू प्रिण्ट' उपलब्ध कराने का आधारभूत काम किया है (जिसे लोग जानबूझकर भूल जाना चाहेंगे और ऐसी मीटों में अपने सम्बोधनों मे इसके उल्लेख को, बडे ही परिश्रम तथा कौशल से छोड देंगे)। आपने 'इन्फ्रा स्ट्रक्चर' उपलब्ध कराया है जो सदैव ही अदृश्य होता है किन्तु जिसके बिना निर्माण, विस्तार और विकास कभी नहीं होता।
कोई माने या न माने, मैं इसे आपकी बडी कृपा मानता हूं। मेरे कस्बे जैसे छोटे स्थानों पर ऐसे आयोजनों का मार्ग, आपकी ये दोनों पोस्टे प्रशस्त करेंगी।
मैं अपने अन्तर्मन से आपके प्रति आभार और कृतज्ञता प्रकट करता हूं।
सिम्पली सुपर्ब.. बड़ी मेहनत की है,
क्या यह दोनों पोस्ट मुझे मेरे आई.डी. पर भेज सकते हैं ।
बुकमार्क सहेज़ना या भविष्य में इसे संदर्भित करने में आसानी रहेगी ।
Post a Comment