जिनके बिना अधूरी थी चर्चा
अटैचमेंट में इन्टरनेट का असहयोग फोटोज के साथ पोस्ट्स पर भारी पड़ रहा है. ऐसे में ब्लौगिंग जारी रह पा रही है इसमें कुह महत्त्वपूर्ण ब्लौगिंग हस्तियों का भी योगदान रहा है।
अपनी पिछली एक पोस्ट में मैंने अपने संपर्क में आये कुछ ब्लौगर्स की चर्चा की थी, यह चर्चा अधूरी है यदि इनमें दो और नामों को शामिल न कर लूँ. ये दो सज्जन हैं - हिंदी ब्लॉग टिप्स के
आशीष खंडेलवाल जी और हिन्दयुग्म के
शैलेश भारतवासी।
आशीष जी औरों की नजर में चाहे जो हों, मैं तो उन्हें ब्लॉग जगत का 'मुग़ल - ऐ - आजम' मानता हूँ। उनके दिए टिप्स ने ब्लॉग जगत की तस्वीर बदलने में उल्लेखनीय भूमिका निभाई है.किसी भी तकनिकी समस्या के लिए उनकी सहज उपलब्धता हम ब्लौगर्स को कितनी राहत देती है इसकी अभिव्यक्ति सहज नहीं। उनकी तारीफ में शब्द भी कम हैं और मेरे पास समय भी. (क्योंकि आज पुनः फिल्ड जा रहा हूँ) इसलिए बस इतना ही.
शैलेश जी से मेरी मुलाकात 'रांची ब्लौगर्स मीट' में हुई थी। हिंदी ब्लौगिंग को लोकप्रिय बनाने में इनका भी महत्त्वपूर्ण योगदान है। इस संबंध में किसी भी सहयोग के लिए वो सदा तत्पर रहते हैं. अपनी घुमक्कड़ नियती और साइबर कैफे आदि पर निर्भरता से मैं उनका ज्यादा लाभ नहीं उठा सका हूँ मगर वजह - बेवजह उन्हें परेशान करने का मौका हाथ से जाने नहीं देता.
आशा है हिंदी ब्लॉग जगत की ये विभूतियाँ इस ब्लॉग परिवार को आगे भी सदा यूँ ही समृद्ध करती रहेंगीं. शुभकामनाएं.