Thursday, February 5, 2009

और ये फरमाइश भेजी है झुमरीतिलैया के.....


     विविध भारती के अलावे कई अन्य रेडियो स्टेशनों पर यह पंक्ति हमने कई बार सुनी होगी. मगर क्या कभी यह भी जानने की कोशिश की है कि यह जगह आख़िर है कहाँ, या यह वास्तव में कहीं है भी या नहीं!
      झुमरी और तिलैया जो कि दो अलग-अलग गाँव हैं झारखण्ड के कोडरमा जिले के खुबसूरत जंगलों और पहाडों के बीच.  कहा जाता है कि इन दो क्षेत्रों के मध्य किसी राजा का कभी गढ़ था जिसके कारण यह क्षेत्र झुमरी तिलैया कहलाया.
     इस क्षेत्र के दो जुनूनी रेडियो श्रोताओं श्री रामेश्वर वर्णवाल और श्री गंगा प्रसाद मगधिया ने फ़रमाइश वाले  कार्यक्रमों में चिट्ठियां भेजना का ऐसा सिलसिला शुरू किया कि हर रेडियो केन्द्र के ऐसे कार्यक्रमों में इस क्षेत्र का नाम होता ही था. ऐसा न हो पाने पर कभी-कभी उद्घोषक भी चर्चा करते थी कि आज झुमरी तिलैया से कोई फ़रमाइश नहीं आई है.
    इन जुनूनी श्रोताओं के जूनून को आज भी न सिर्फ़ उनके परिवार वाले बल्कि सारे क्षेत्र के लोग आगे बढ़ा रहे हैं.
    तो है न यह चिट्ठियों के माध्यम से अपने क्षेत्र को सारे देश में प्रसिद्धि दिलाने का अनूठा प्रयास.

12 comments:

P.N. Subramanian said...

बिल्कुल सही कहा है. यह सिलसिला आजकल से नहीं वरन १९५० के दशक से रेडियो सीलोन के फरमाईशी कार्यक्रम से प्रारम्भ हुआ था. आभार.

राज भाटिय़ा said...

मेने थोडे दिन पहले कही पढा था इस बारे, याद नही आ रहा कहा:
धन्यवाद

Vineeta Yashsavi said...

Sahi kaha apne.

Maine bhi in jagaho ke naam radio mai hi sune aur uske baad inke baare mai pata kiya.....

Anonymous said...

इस जगह का ऐसा मिथक सा बन गया की हमें` लगता था कोई काल्पनिक जगह है

डॉ .अनुराग said...

N.D.T..V par dekhi thi iski reporting...

रंजू भाटिया said...

हाँ यह देखा था टीवी पर आज यहाँ पढ़ा ..

रंजू भाटिया said...
This comment has been removed by the author.
संगीता पुरी said...

सही कहा.....दो जनों ने मिलकर एक छोटे से क्षेत्र को इतना प्रसिद्ध कर दिया था।

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

कमाल है,बहुत नायाब तरीका खोजा अपने क्षेत्र को प्रसिद्धि दिलाने का. आखिरकार् दोनो जनूनी जनों की मेहनत रंग ले ही आई.

daanish said...

वाकई....!
खूब याद दिलाया आपने....करीब हर रोज़ ये नाम
रेडियो पर सुनने को मिलता था जब रेडियो के दिन थे....
इसके इलावा कुछ और नाम भी रहे .....
बाडिया कलां स बूटी राम हंडा,
पतिअला से मुकेश बत्ता, म स साहनी,
जगराओं से सुनील पाठक वगैरा वगैरा .....
इस रोचक जानकारी के लिए शुक्रिया
---मुफलिस---

Science Bloggers Association said...

मैंने भी कालेज के दिनों में रेडियो पर झुमरीतलैया का नाम अनेकों बार सुना है।

के सी said...

उनके नाम और काम से सब परिचित हैं, आपको कष्ट तो होता फ़िर भी उन दोनों के फोटो छाप देते तो पोस्ट लाजवाब हो जाती

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