Thursday, February 26, 2009

सफल ब्लौगर्स मीट के मूल तत्त्व

आदरणीय विष्णु बैरागी जी तथा कुछ अन्य वरीय ब्लौगर्स ने आग्रह किया था कि 'ब्लौगर्स मीट' जैसे आयोजनों की बढती संभावनाओं को देखते हुए इनपर विस्तार से चर्चा की जाए। मैं भी मानता हूँ कि कार्यक्रम का मात्र संपन्न हो जाना ही नहीं बल्कि इसकी समग्र विवेचना ही इसकी वास्तविक सफलता और भविष्य की आधारशिला होती है। अपने अनुभवों और अन्य ब्लौगर्स की प्रतिक्रियाओं को ध्यान में रखते हुए ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन सम्बन्धी अपनी राय क्रमवार रख रहा हूँ -
(i) व्यवस्थित टीम का गठन - किसी भी कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए यह एक अनिवार्य शर्त है. अतिउत्साही आत्मविश्वास या अविश्वास के कारण भी एक ही व्यक्ति पर कार्यक्रम का सम्पूर्ण भार नहीं छोड़ा जा सकता। कार्यक्रम कि जिम्मेदारी के अनुरूप दायित्वों का विभाजन और टीम के सदस्यों की अपनी जिम्मेवारी के प्रति गंभीरता पर ही कार्यक्रम की दशा-दिशा निर्भर करेगी.
(ii) कार्यक्रम की तिथि- ब्लौगिंग में हर उम्र, वर्ग और व्यवसाय के लोग संलग्न हैं, इसीलिए सभी के लिए उपयुक्त तिथि का चयन सरल नहीं; किन्तु अधिकाधिक लोगों के अनुकूल तिथि का चयन किया जाना चाहिए। यदि 2-3 दिनों की लगातार छुट्टी सा संयोग हो तो सोने-पे-सुहागा. 22 फरवरी का 'रांची ब्लौगर मीट' इस पैमाने पर बिलकुल खरा उतरता था.
(iii) कार्यक्रम का स्वरुप- यह स्पष्ट होना चाहिए कि कार्यक्रम का स्वरुप स्थानीय है, राज्यस्तरीय या राष्ट्रीय. आयोजकों तथा आगंतुकों की भी सुविधा कि दृष्टि से यह जरुरी है।
(iv) कार्यक्रम की सूचना- कार्यक्रम के स्वरुप के अनुसार अपेक्षित ब्लौगर्स तक सूचना की उपलब्धता अगला महत्वपूर्ण विषय है. इसके लिए सामुदायिक ब्लोग्स, ई-मेल्स के अलावे स्थानीय समाचार पत्रों का भी प्रयोग किया जा सकता है. ब्लौगर्स की चैन-श्रृंखला भी उपयोगी हो सकती है, जैसा रांची में हुआ.
(v) ब्लौगर्स की स्वीकृति- आयोजन में शामिल होने के इच्छुक ब्लौगर्स के लिए भी अपेक्षित है कि वो अपनी भागीदारी की स्वीकृति कार्यक्रम से यथापूर्व ही दे दें, ताकि आयोजकों को असुविधा न हो।
(vi) प्रबंधन द्वारा प्रत्युत्तर- आयोजकों की टीम में संपर्क प्रभारी जैसा कोई दायित्व निर्धारित होना चाहिए जिससे इच्छुक प्रतिभागी संपर्क कर सकें, और जो उन्हें आगमन की स्वीकृति और कार्यक्रम के सम्बन्ध में औपचारिक सूचना देने में सक्षम हो। यह अतिथियों को संतुष्टि और आयोजकों की गंभीरता को दर्शायेगा।
क्रमशः
(नोट:- यह सीरीज़ शायद कुछ लोगों को उबाऊ और गैरजरूरी लगे किन्तु जो ब्लौगर्स एक-दुसरे से सिर्फ भावनात्मक रूप से जुड़े हैं उनकी ऐसे आयोजनों के प्रति उत्साह और अपेक्षा की दृष्टि से छोटी-छोटी बातें ही महत्वपूर्ण हो जाती हैं. अगले अंक में कार्यक्रम के स्वरुप पर चर्चा करूँगा).

13 comments:

नीरज गोस्वामी said...

सबसे अधिक महत्वपूर्ण है ये जानना की ब्लोगर मीट का उद्येश्य क्या है...आपने बहुत अच्छे से अपनी बात शुरू की है...अगली कड़ी का इंतज़ार है..

नीरज

Manish Kumar said...

अच्छी श्रृंखला है। राँची जैसी मीट छत्तिसगढ़ ,उत्तरप्रदेश और मध्यप्रदेश में भी करनी चाहिए जहाँ हिंदी चिट्ठाकारों का अच्छा खासा जमावड़ा है।

डॉ .अनुराग said...

सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण है इस मीट का उद्देश्य ....ओर उसके बाद उसकी समीक्षा ...की आपने कैसे हिंदी ब्लॉग की बेहतरी के लिए एक कदम रखा...

रंजू भाटिया said...

बहुत बेहतर लिखा है आपने ..हिंदी ब्लागिंग को आगे बढाने के लिए इस तरह से उद्देश्य पूर्ण मिलना अच्छा है भविष्य के लिए शुक्रिया

संगीता पुरी said...

बिल्‍कुल उबाउ और गैर जरूरी नहीं है इस प्रकार का आलेख .... आपने ऐसा कैसे सोंच लिया ... अगली कडी का इंतजार रहेगा।

admin said...

अरे वाह, अगर कभी इस तरह की मीट करवानी पडी, तो ये बातें बहुत काम आएंगीं। आभार।

दीपक कुमार भानरे said...

ब्लॉग जगत के हितार्थ आपसी सद भाव और समझ विकसित करने के उद्देश्य से ऐसे आयोजन अच्छे हे कदम साबित होंगे . ऐसे आयोजनों के सम्बन्ध मैं आपके द्वारा बहुत महत्वपूर्ण राय रखी गयी है . धन्यवाद .

रंजना said...

गंभीर चिंतन ....जरी रखें....

वैसे मुझे लगता है,तकनीकी माध्यम से इतने सुलभ और त्वरित गति से हम विचारों का संप्रेषण और आदान प्रदान कर सकते हैं तो इस तरह के आयोजनों या बैठकों की बहुत अधिक आवश्यकता नहीं.
हम दिखने से अधिक लिखने के संगी हैं.

Vineeta Yashsavi said...

Apnebahut achhe points banaye hai...

राज भाटिय़ा said...

भाई ओर बाते तो सब ने पुछ ली, लेकिन मुझे भी एक बात जानानी है, जब आप लोग ब्लांगर मीट करते है तो खाने का , चाय का , इन सब का खर्च कोन करता है, यानि जब इअतने लोग इकट्टे होगे, ओर कई लोग बहुत दुर से आते है तो इन सब के रहने का, खाने , पीने का खर्च कोन करता है, क्या खुद ही करना पडता है? मजाक मै नही ऊडाये जबाब जरुर दे, वेसे जरुरी नही सब वही ठहरे, लेकिन जो ठहरना चाहे तो??

Kajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टून said...

अच्छे पॉइंट्स हैं जी, भविष्य के आयोजकों की सहायता करेंगे.... वैसे अभी हाल ही में नॉएडा / गाजियाबाद (उत्तेर प्रदेश) में भी ब्लागरों का एक ऐसा ही हाई-फाई आयोजन किया गया था, जिसमें भाग लेने के लिए प्रतिभागियों से रजिस्ट्रेशन फीस के नाम पर खान-पान का खर्चा माँगा गया था, न हींग लगी न फिटकरी ... भविष्य के कुछ आयोजक इससे नोट कूटने की प्रेरणा भी ले सकते हैं --:)

प्रवीण त्रिवेदी said...

महत्वपूर्ण राय!!!

अभिषेक मिश्र said...
This comment has been removed by the author.
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