कहने को ब्लॉग जगत आभासी कहलाता है, मगर यहाँ बनने वाले रिश्ते जाने कब वास्तविक जीवन से जुड़ जाते हैं, आभास ही नहीं होता। ब्लौगिंग से अस्थाई विराम के अनचाहे निर्णय के बाद अरविन्द मिश्र जी से औपचारिक विदाई मुलाकात का कार्यक्रम बना था। मगर यह कार्यक्रम सिर्फ उनके और मेरे बीच ही सीमित नहीं रह सका. रास्ते में ही नीरज मुसाफिर, और उनके यहाँ पहुँचते ही लवली जी ने संपर्क कर एक अन्य ब्लौगर्स गोष्ठी या यों कहें कि ब्लॉग जगत की ओर से फेयरवेळ सा ही अहसास दिला दिया।
मैं स्वीकार करता हूँ कि आभासी जगत को अपने वास्तविक जगत से जोड़ने में मुझे शुरू से ही हिचकिचाहट रही थी; मगर कुछ अनदेखे-अनजाने रिश्ते कैसे इतने पुष्पित और पल्लवित हो जाते हैं, यह हिंदी ब्लॉग जगत में देख मैं अभिभूत हूँ।
अरविन्द जी से चलते-चलते ब्लौगिंग से जुड़े कुछ विषयों के अलावे कई और मुद्दों पर भी चर्चा हुई। अभी तो विज्ञान ब्लौगिंग की राह पर हमें काफी लंबा सफ़र तय करना था, फिर भी उन्होंने मुझे अपना नया सफ़र प्रारंभ करने के लिए हौसला और प्रोत्साहन दिया। इस दरम्यान उनके परिवार से भी एक आत्मिक संबंध कायम हो गया था, जिससे बिछड़ने की टीस को भुलाना आसान नहीं होगा।
इन आत्मीय यादों को थोडी और भी दृढ़ता देने के प्रयासों के रूप में हमने एक-दुसरे को कुछ प्रतीकात्मक उपहार देते हुए फिर मिलने की कामनाओं के साथ विदा ली।
ब्लॉग जगत से इतने थोड़े समय में जो संबंध और यादें जुड़ गईं हैं उन्हें भुलाना मेरे लिए आसान नहीं होगा।
शुक्रिया ब्लॉग जगत - शुक्रिया ब्लौगर्स।
7 comments:
संबंधों को भुलाना इतना आसान नहीं होता .. आपके दर्द को समझ सकती हूं .. जरूर लौटेंगे आप हमारे बीच .. पर प्राथमिकता तो कैरियर को देनी ही होगी .. आपके उज्जवल भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं !!
Take care and be in touch Abhishek !
bye
आपके उज्जवल भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं !!
All the best...and take care
Achha laga padhkar, par ye shamaa jalaaye rakkhen.
( Treasurer-S. T. )
अभिषेक जी, आप तो इस ख़ुशी के मौके पर ज्यादा ही इमोशनल हो गए हो. चलो, अच्छी बात है.
वहां अरुणाचल वालों को बताना कि उधर राजधानी में मुसाफिर नामक इंसान है. हमेशा घूमने घामने की बातें करता है. ठीक है?
भविष्य के लिए ढेर सारी शुभकामनाएं
kripya naya number uplabdh hote hi preshit karen.
LOVELY
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