Friday, January 14, 2011

दिल्ली की लोहड़ी




देश की राजधानी होने के कारण दिल्ली और यहाँ के लोगों के लिए सभी त्यौहार भी अपने ही से हो जाते हैं. यहाँ ‘लोहड़ी’ की धूम रही तो ‘मकर संक्रांति’ का उत्साह भी जोरों पर है. सूर्य देव भी दो दिनों से अपनी रंगत में लौट दिल्लीवासियों को राहत और खुशी के पूरे मौके दे रहे हैं.

यूँ तो आधुनिकता में हमारे कई पारंपरिक खेल भी लुप्त ही होते जा रहे हैं, मगर अपने अतीत में झांकें तो दिसंबर - जनवरी के दौरान बच्चे एक कील पर आधारित लकड़ी से बने 'लट्टू' काफी घुमाया करते थे. कभी सोचा है आपने कि कहीं ये इसी अवधि के दौरान धरती के घूर्णन और इससे होने वाले मौसम चक्र के प्रतीक तो नहीं थे ! पतंग बाजी और लट्टू जैसे खेलों को भी खगोलीय और वैज्ञानिक स्पर्श दे देना - ओह ! It Happens Only in India !!! Incredible India !!!!!!

आप सभी को भी ‘लोहड़ी’, ‘मकर संक्रांति’, ‘उत्तरायण’ की हार्दिक शुभकामनाएं.

4 comments:

Vineeta Yashsavi said...

yes ! u r right it happens only in India...

राज भाटिय़ा said...

लोहड़ी, मकर संक्रान्ति पर हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई

रचना दीक्षित said...

yahi to hai India

Arvind Mishra said...

उत्तरायण होते सूर्य के साथ मानव की कितनी ही रागात्मक गतिविधियाँ अंगडाई लेने लगी हैं -बसंत का आगमन होने में अब कितनी देर ही है!

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