पिछला सप्ताह काफी व्यस्तताओं भरा रहा. बनारस से मुंबई और मुंबई से दिल्ली होता वापस बनारस. इस व्यस्तता ने ब्लौगिंग से तो दूर रखा ही मगर ब्लौगर्स से दूर रह पाना कहाँ संभव था. अपने नीरज मुसाफिर जिन्होंने हाल ही में दिल्ली मेट्रो ज्वाइन की है से मैंने कभी उम्मीद जताई थी कि शायद अब हमारी मुलाकात मेट्रो में ही हो। और यह उम्मीद आखिरकार सत्य हो ही गई. मेट्रो स्टेशन पहुँच मैंने नीरज जी से संपर्क किया और थोड़े इंतजार के बाद हम एक-दुसरे के सामने थे, हाथों में मोबाइल लिए एक-दुसरे को तलाशते; बिलकुल डेविड-धवन की फिल्मों की तरह. यही तो रोमांच है ब्लौगिंग का!
नीरज जी के बारे में इतना बता दूँ कि ये भी एक सेलेब्रिटी ब्लौगर हैं, और रविश जी की ब्लॉग चर्चा से इनकी एक अलग ही कहानी जुडी हुई है. आजकल अपनी पहेलियों से हम ब्लौगर्स के सामान्य ज्ञान का जायजा लेने में भी जुड़े हुए हैं ये.
उनकी मेहमाननवाजी का लुत्फ़ उठाते हुए हमने मेट्रो म्यूज़ियम का भ्रमण किया. मुसाफिर भाई तो मुसाफिर ही थे. अपनी शिमला यात्रा का रूट डाईवर्ट कर उन्हें इस ओर का रुख करना पड़ा था. इसलिए हमने जल्द ही एक-दुसरे से विदा ली. मुलाकात छोटी ही रही किन्तु इसने साथ-साथ हरिद्वार न जा पाने की पुरानी कसक को थोडा कम तो किया ही. आशा है जल्द ही नीरज जी की शिमला यात्रा का विवरण उनके ब्लॉग पर मिलेगा.
13 comments:
वह..मेट्रो ब्लॉग्गिंग
lambe samay ke baad apko dekh ke achha laga...
हूँ, पिछले दिनों राष्ट्रपति जी से मिलने के लिए जब दिल्ली गया था, तब मेट्रो में ही घूमना रहा। हालॉंकि शैलेश जी से साहित्य अकादेमी में भेट हो गयी थी, पर मेट्रो में कोई ब्लॉगर नहीं टकराया।
प्रिय अभिषेक /आज थ्री इन वन ,वर्तमान लेख ,पुरानी कसक और एक अलग ही कहानी पढी /दुर्भाग्य से मैं भी चला ब्लोगर्स मीट तथा हम भी आगये अखवार में वाली पोस्ट पहले नहीं पढ़ पाया था
metro blogging..nice...
बहुत सुन्दर! ........
ठान ले तो जर्रे जर्रे को थर्रा सकते है । कोई शक । बिल्कुल नही ।
अभी थोडी मस्ती में है । मौज कर रहे है ।
पर एक दिन ठानेगे जरुर ....
बढ़िया रही यह तो ब्लॉगर मीट इन मेट्रो :) हाई टेक मुलाकात
क्या बात है... मेट्रो वालों से मेट्रो में मुलाकात...
metro mulaakat ! badhiyaan !1
किन्तु इसने साथ-साथ हरिद्वार न जा पाने की पुरानी कसक को थोडा कम तो किया ही
...
भाई, इस कसक को कम मत करो, बल्कि बनी ही रहने दो. इस बहाने एक बार हरिद्वार भी घूम आयेंगे हम दोनों. ठीक है ना? तो जल्दी ही एक बार और मुहँ उठा लो इधर को.
ठीक है नीरज भाई- "फिर मिलेंगे,चलते-चलते".
मुझे आपका ब्लॉग बहुत अच्छा लगा! मेट्रो मुलाकात, बहुत ही सुंदर लिखा है आपने! मेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है!
बहुत खुसी हुई जानकर की आप दोनों मिले ..यही तो ब्लोगिंग का जादू है :-)
बहुत बडिया अलग से विश्य अच्छा लगता है बहुत ब्डिया पोस्ट है
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