Saturday, September 10, 2011

सलमान: ' बॉडीगार्ड ' वाया 'मैंने प्यार किया ' और कुछ यादें



यूँ तो सलमान ने स्वयं को 'मास' के स्टार के रूप में स्थापित व स्वीकार भी कर लिया है. मगर फिर भी 90 के दशक में कैरियर की शुरुआत करने वाले सलमान में कुछ खास बातें ऐसी भी हैं जो उन्हें आम जनता में बिना किसी प्रयोगवादिता के भी लगातार लोकप्रिय और सफल बनाये हुए है.

अपने अन्य साथी कलाकारों की तरह सलमान किसी नामचीन बैनर के साथ बंधे नहीं रहे. उन्होंने विभिन्न किस्म की भूमिकाओं को निभाते हुए बिना किसी विशेष छवि में टाईप्ड हुए अपनी राह बनाई. रोमांटिक से कॉमेडी तक का सफर तय करते हुए अब बह रही हवा के विरुद्ध एक्शन की कमान संभाले दिखाई दे रहे हैं. कभी चौकलेटी और रोमांटिक स्टार के रूप में प्रचारित इस स्टार ने कॉमेडी और पीरियड भूमिकाएं निभाने लग गए कलाकारों को भी वापस एक्शन की ओर लौटा दिया है. 

जैसा कि सलमान खुद ही अपनी फिल्म में कहते हैं -"मुझ पर एक एहसान करना कि मुझपर कोई एहसान न करना" की तर्ज पर अब खुले रूप से अपने निर्माता - निर्देशकों की सफलता के भी सुनिश्चित बॉडीगार्ड  बन गए हैं. सलमान ने अपना एक मैनरिज्म या 'सलामनिज्म' विकसित कर लिया है, जो उनके द्वारा निभाए जा रहे चरित्रों पर भी हावी हो जाता है. अभिनय के कद्रदान चाहे इसे अनुचित समझें मगर उनके विशिष्ट दर्शक वर्ग को उनके अपने 'भाईजान' का यही रूप ही भाता है. 

इस सफर में उन्हें कम उतार-चढाव से गुजरना पड़ा ऐसा भी नहीं है. जिस इंडस्ट्री ने उन्हें इतना कुछ दिया, उसी ने उन्हें 'बैड बॉय' की छवि भी दी. फिर भी दर्शकों और प्रशंसकों का प्यार सलमान के लिए बरक़रार है तो उनकी स्वाभाविक और निश्चल मासूमियत की भी वजह से, जो उनसे छिनी नहीं जा सकी है. 

सलमान की पिछली चंद फिल्में किसी भी दृष्टिकोण से स्तरीय नहीं कही जा सकतीं, भले व्यवसाय उन्होंने काफी किया हो. स्वयं मैं भी दबंग, रेडी के बाद अब बॉडीगार्ड को भी इसी श्रेणी में रखता हूँ.

उलजलूल कहानी, विशिष्ट साऊथ इंडियन शैली के स्टंट्स (जिसका नया सम्मिश्रण शुरू किया है सलमान ने अपनी फिल्मों में), शोर गुल भरे गाने, अपरिहार्य इंट्रो और आइटम सौंग इन सभी फिल्मों में कॉमन पक्ष हैं. इसके अलावे इस फिल्म में डार्क शेड में डार्क कपड़ों का सम्मिश्रण तो और भी हैरतंगेज और प्रयोगधर्मी है ! (गीत - 'तेरी मेरी प्रेम कहानी...'). मगर एक और चीज जो कॉमन है वो है सलमान की आँखों और चेहरे में छुपी मासूमियत जिसमें आज भी पहले सी ही ताजगी है, और जो अब भी किसी विशेष दृश्य में उभर कर दर्शकों के दिलोदिमाग में बैठ जाती है. 


याद कीजिये 'सिर्फ़ तुम' में प्रिया गिल द्वारा शादी से नकार दिये जाने पर सलमान का कहना कि " ऐसा मेरे साथ ही क्यों होता है ! " या "कुछ-कुछ होता है" का क्लाइमेक्स. बॉडीगार्ड में भी जिस भरोसे के साथ कहना कि "...जरूर फोन करेगी, छाया मुझसे प्यार करती है" या बिना देखे प्यार करने का जवाब " पसंद तो दिल से करते हैं मैडम, प्यार तो दिल से किया जाता है न ! " और जब छाया से मिलने से पहले पूर्वाभ्यास करते हुए जब वो कहते हैं " छाया तुम मुझसे सच्चा प्यार करती हो न, मुझसे मजाक तो नहीं कर रही ना ! "  तब वो दर्शकों को अपनी कुछ त्रासद यादों की ओर भी मोड़ लेते हैं. 

मैं सलमान की दिमाग घर में छोड़ कर आने का आह्वान करने वाली छवि से सहमत नहीं और न ही कोई अंध समर्थक. मगर मैं सलमान को हमेशा याद करूँगा 'मैंने प्यार किया' के लिए. फिल्में देखना मेरा शौक है, मगर अकेले ताकि निर्देशक या कहानी के साथ तारतम्य / संवाद स्थापित कर सकूँ. यह उस दशक में आई फिल्म थी जो आज की युवा आबादी का प्रतिनिधित्व करती है. इसने पहली बार इस पीढ़ी को 'प्रेम' को समझने का दृष्टिकोण दिया था. कई मायनों में ट्रेंड सेटर थी यह फिल्म, जिसके बारे में फिर कभी. तब इसके गाने और डायलौग कैसेट्स काफी लोकप्रिय थे; मगर मैंने इस वादे के साथ इन्हें नहीं खरीदा कि इन्हें कभी अपनी सैलरी से ही खरीदूंगा, और यह वादा भी पूरा किया.  इस फिल्म में कुछ था जिसने मुझसे यह निश्चय करवा लिया कि "  मैं कभी भी-कहीं भी रहूँ, अगर वहाँ यह फिल्म लगी; तो मैं इसे जाकर देखूंगा . "   अब तक तो यह कमिटमेंट भी निभाया है; शायद इसलिए भी कि - 
"   एकबार कमिटमेंट कर ली, तो मैं अपने-आप की भी नहीं सुनता....."

[ * एक निवेदन:  इस पोस्ट को इस फिल्म का प्रचार या प्रशंसा  के रूप में न लें. फिल्म देखने के बाद मिलने वाले आनंद या अवसाद की जिम्मेवारी इस पोस्ट के लेखक की नहीं होगी. :-)]

चलते-चलते इस फिल्म का एक प्रोमो : 


5 comments:

अनूप कुमार पटेल said...

अरे भाई बॉडीगार्ड हमने भी देखी है वो भी दो बार पैर अपने तो पिक्चर का एक नया ही रूप प्रस्तुत केर दिया है| अतुलनीय और अति प्रसंसिनीय मजा आ गया आप इसी तरह हिंदी जगत की सेवा करते रहे... धनयवाद|

अनूप कुमार पटेल said...
This comment has been removed by the author.
अनूप कुमार पटेल said...

http://meraderpan.blogspot.com/2011/09/blog-post_10.html

shilpy pandey said...

ye post,bodyguard ke liye tha ya Salman Khan ke liye..whatever, the way you anlalyse the things, makes your blogs very special and unique.. kuch alag si soch,aur ek naya hi nazariya,Salman Khan ke prati..

अभिषेक मिश्र said...

Thanks Shilpi.
यह पोस्ट 'बॉडीगार्ड' के बहाने सलमान को याद करने की कोशिश समझी जा सकती है; उस सलमान को जिसे शायद वो खुद भी भूल चुके हैं. मगर सभी नहीं.

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