अपनी राजनीतिक, प्रशासनिक और सामाजिक व्यवस्था को नकारते हुए (झकझोड़ने की तो कोई गुंजाईश है ही नहीं) पूर्व वायु सेना अधिकारी अंजलि गुप्ता ने अपनी जिंदगी को भी टर्मिनेशन दे दिया. जाते-जाते वह पहली भारतीय महिला वायुसेना अधिकारी जिस पर ' कोर्ट मार्शल' की कारर्वाई की गई के अलावे इतिहास में संभवतः एक और कारण से अपना नाम लिखवाती गई हैं - आत्महत्या करने वाली भारतीय वायु सेना की पहली महिला अधिकारी.
अंजलि गुप्ता (35 वर्ष) करीब 6 वर्ष पूर्व अपने वरिष्ठ अधिकारीयों पर यौन शोषण का आरोप लगा कर चर्चा में आई थीं. मगर जांच में उनके खिलाफ आरोप सही नहीं पाए गए, बल्कि अंजलि को ही वित्तीय अनियमितता और ड्यूटी पर न आने का दोषी पाया गया. भारत के सैन्य इतिहास का यह भी पहला मौका था जब किसी सैन्य अदालत की कारर्वाई की मीडिया को रिपोर्टिंग करने की अनुमति दी गई. नौकरी से बर्खास्त किये जाने के बाद वो काफी मानसिक दबाव से भी गुजर रही थीं. बर्खास्तगी के बाद अंजलि बंगलुरु के एक कॉल सेंटर से जुड गईं.
आत्महत्या के बाद की जा रही छानबीन में एक नई कड़ी जुडी है जिसके अनुसार अंजलि की वायुसेना के ग्रुप कैप्टन अमित गुप्ता (54 वर्ष) से मित्रता थी. वो उनके भोपाल के शाहपुरा स्थित मकान में आई थीं, जहाँ अमित की पत्नी और बड़ी बहन रहती हैं. अमित और उसके परिवार वाले जब अपने बेटे की सगाई में दिल्ली गए हुए थे, इसी घर में अंजलि ने फांसी लगाकर तथाकथित आत्महत्या कर ली. समाचारों में घर से कई पेट्रोल की बोतलें मिलने की भी सूचनाएं हैं, जिससे अंजलि द्वारा आत्महत्या के दृढ निश्चय के कयास भी लगाये जा रहे हैं (!) अंजलि के कुछ रिश्तेदारों का दावा है कि अमित द्वारा अपनी पत्नी से तलाक ले उससे विवाह के वादे को ठुकराए जाने के कारण ही उसने ऐसा कदम उठाया. पुलिस हत्या और आत्महत्या दोनों संभावनाओं पर विचार कर रही है.
संभावनाएं चाहे जो हों, एक बार फिर एक स्त्री को ही हार माननी पड़ी है. आखिर ऐसी कौन सी परिस्थितियां हैं जिनके कारण ये इतनी नाउम्मीद, इतनी हतोत्साहित हो जाती हैं !!! प्राणोत्सर्ग कर जाना अपने सिस्टम पर भरोसा करने की तुलना में सहज लगता है. सेना हो या समाज, हर जगह Compromise स्त्री को ही करना पड़ता है, जान दे देने की हद तक !!! क्या वायु सेना को कैरियर बनाने वाली अंजलि इतनी कमजोर थी !!! समाज और व्यवस्था शायद ही इस बारे में विशेष सोचे क्योंकि चिंता करने के लिए तो भारतीय क्रिकेट टीम की Performance जैसी कई महत्वपूर्ण चीजें पड़ी हैं. हमलोग भी थोड़े बेचैन होंगे, एक रात की नींद खराब करेंगे, पोस्ट लिखेंगे, टिप्पणियां करेंगे और दैनिक व्यस्तताओं में खो जायेंगे. मगर अंदर कहीं छुपी अंतरात्मा तो कराहती हुई दुआ कर रही होगी कि न आना इस देश लाडो, यह धरती स्त्री की सिर्फ़ शाब्दिक आराधना करना जानती है; व्यवहारिक नहीं. यहाँ न तो तेरी अस्मिता सुरक्षित है न तेरा गौरव. यह धरती अब स्त्री विहीन होने के ही लायक है. 'No Land Without Woman' की अवधारणा इसी देश में ही अस्तित्व में आनी चाहिए. मरते समय यही बददुआ, यही श्राप अंजलि के ह्रदय से भी निकला होगा.
आज 'क्षमा दिवस' पर मुझे नहीं लगता कि अंजलि की आत्मा हमें क्षमा कर पायेगी.
आज 'क्षमा दिवस' पर मुझे नहीं लगता कि अंजलि की आत्मा हमें क्षमा कर पायेगी.
13 comments:
बदकिस्मत इसे ही तो कहते है।
एक प्रश्न जरूर मन में उठा था. अंजलि ने अमित के साथ लिव इन रिलेशन बनाये हुई थी यह जानते हुए की वह शादीशुदा है. ऐसा क्यों होता है.
आज के अखबार में बड़ी लम्बी रिपोर्ट आई है. अब अंजलि तो नहीं रही - श्रद्धांजलि.
@ सुब्रमन्यन जी
क्या वाकई आपको इस कहानी पर यकीन होता है !
Dedicated to Anjali Ji....
Bhagwan unaki atma ko shanti de...
par mujhe lagata hai bhaiya...aatmhatya is never a right option....why she did...still a mystry...
सुरेश,
मैं खुद भी इस कहानी से सहमत नहीं हूँ.
कहानियाँ तो गढ़ी ही जाती हैं. अपना अंगूठा कैसे लगा दूँ.
सही कहा आपने सुब्रमन्यन जी. कहानी तो अब अंजलि ही बन चुकी हैं, और हम अब नई गढ़ी जा रही कहानियों के पाठक ही बने रह सकते हैं...
बेहद दुखद घटना है...इतनी मजबूत लड़की का फ़ैसला इतना कमजोर ? ..या इतनी कमजोर लड़की कि- फ़ैसला इतना मजबूत? ..क्या कहूँ ? विश्वास नहीं होता ..
"हमलोग भी थोड़े बेचैन होंगे, एक रात की नींद खराब करेंगे, पोस्ट लिखेंगे, टिप्पणियां करेंगे और दैनिक व्यस्तताओं में खो जायेंगे. मगर अंदर कहीं छुपी अंतरात्मा तो कराहती हुई दुआ कर रही होगी कि न आना इस देश लाडो....बिलकुल सही कहा..
She is the real example of misfortune :( ....sahi hi kaha hai..naari abla hye tumhari yahi kahani...anchal me hai doodh aur ankhon me pani...
स्त्रियों को जो सम्मान मिलना चाहिए वो उन्हें अभी नहीं मिला है। दिल्ली बहुत दूर दिखाई देती है. स्त्रियों को उपभोग की वस्तु ही समझते हैं पृथ्वी के ८० प्रतिशत शैतान।
अभिषेक भाई बहुत ही सशक्त रचना। कई मिनट तक मन उद्वेलित रहा। और सब का निचोड़ आपने आपने अंतिम पैरा में कह ही दिया है। आपकी सारी बातों से सहमत।
पहले तो मृत आत्मा की शान्ति हेतु कामना ...
यह सचमुच दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक जाबांज महिला अधिकारी का यह हश्र हुआ ..
मगर कई प्रश्न अनुत्तरित हैं या मुझे मालूम नहीं ...मुझे बता सकें तो आभारी होऊंगा
अगर कोर्ट मार्शल में उनके साथ अन्याय हुआ तो वे क्या अदालत गयीं थीं ....और अगर वे अदालत नहीं गयीं तो क्यों ?
और गयीं तो क्या हुआ ?
नौकरी की स्थितियों में समझौते पुरुष और नारी दोनों को ही करने पड़ते हैं -मगर असली जाबांज वही होते हैं
जो कठिन परिस्थितियों से भी निकल आते हैं -मुझे अफसोस है कि सुश्री गुप्ता ने कोई अनुकरणीय उदाहरण प्रस्तुत नहीं किया !
whatever happened was not good, but what she did with her was also unworthy.
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