Saturday, September 17, 2011

अरुणाचल में मनाई विश्वकर्मा पूजा की यादें ...



आज विश्वकर्मा पूजा के शुभ दिवस पर अपने अरुणाचल में बिताए एक वर्ष की याद हो आई है. एक ईंजीनियरिंग जियोलौजिस्ट के रूप में मैं अपनी मूल साईट पर अरुणाचल के पासीघाट से विश्वकर्मा पूजा मना कर ही निकला था, और अगली पूजा वेस्ट सियांग के सुदूरवर्ती गाँव हिरोंग में मनाई थी. तब तक काम के साथ - साथ स्थानीय परिस्थितियों का भी अनुभव काफी हो चुका था. 

पूजन में NE के युवाओं की भी भागीदारी 


अरुणाचल नोर्थ - ईस्ट का ऐसा प्रमुख भाग है जहाँ हिंदी बोली और समझी जाती है. यहाँ के सुदूरवर्ती गाँवों में भी आप इसे व्यवहार में ला सकते हैं. यहाँ की विभिन्न जनजातियों जिनकी परंपरा, मान्यता, भाषा आदि एक - दूसरे से पृथक हैं; आपस में संवाद के लिए टूटी-फूटी हिंदी का ही प्रयोग करते हैं. 

दर्शन के लिए स्थानीय निवासी 

बंगाल, बिहार और अन्य प्रान्तों से आ बसे हिंदी भाषियों के कारण वहाँ के पर्व-त्यौहार, रीति-रिवाजों की झलक भी यहाँ मिल जाती है. विश्वकर्मा पूजा, दशहरा, दिवाली के अलावे छठ  का होना भी मेरे लिए एक सुखद आश्चर्य से कम नहीं था.  


ऐसे में यह अलग से कहने का कोई कारण नहीं बचता कि अरुणाचल और इसके लोग हमारे देश के एक अभिन्न अंग हैं. 

अरुणाचल में माने गई विश्वकर्मा पूजा की की कुछ झलकियाँ - 

9 comments:

Dr (Miss) Sharad Singh said...

Very interesting presentation.

P.N. Subramanian said...

अरुणाचल में हिंदी बोली और समझी जाती है जानकार मन प्रसन्न हो गया. आभार.

SANDEEP PANWAR said...

अरुणाचल के तीन बंदे मुझे कन्याकुमारी में मिले थे वे बहुत अच्छी हिन्दी लिख व बोल रहे थे।

रविकर said...

बहुत बढ़िया प्रस्तुति ||

आपको हमारी ओर से

सादर बधाई ||

मनोज कुमार said...

सच में आपने बहुत सी रोचक और नई जानकारी दी है।

रचना दीक्षित said...

बड़ी सुंदर जगह है अरुणांचल प्रदेश. सुंदर आलेख.

देवेन्द्र पाण्डेय said...

नई जानकारी।

रेखा said...

बहुत ही रोचक जानकारी दी है आपने .....

Rahul Singh said...

सहज समन्‍वय की उदारता, सभ्‍यता की पहचान है.

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